अब जसम के बाकी लोगों को तय करना है कि विभूति प्रकरण पर वो कौन सी बोली बोलना चाहते हैं?
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अब जसम के बाकी लोगों को तय करना है कि विभूति प्रकरण पर वो कौन सी बोली बोलना चाहते हैं?
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जब से आदमी ने सुअरों की बोली बोलना शुरू कर् दिया है, तब से हम आदमियत पर उतर आए हैं ।
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अगर, काश्मीर जैसे प्रांतों को भारत का अंग बनाए रखना है तो हमें हथियारों की भाषा से ज्यादा विकास की बोली बोलना होगी।
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चाहे जहाँ थूकना, चाहे जहाँ कचरा डालना, चाहे जैसे और चाहे जब बीड़ी पीना, पान-तम्बाकू चबाना और जहाँ बैठे वहीं उसकी पिचकारियाँ छोड़ना, फर्श पर जूठन गिराना, चिल्ला-चिल्ला कर बाते करना, पास में बैठे हुए आदमी की सुख-सुविधा का विचार न करना और गन्दी बोली बोलना-यह तो सार्वत्रिक अनुभव हैं ।
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भूखों मरने की नौबत आई-बुभुक्षतं किम न करोति पापं _उसने एक पिक्चर देखी = भंगारी दादा को चाहिए था गुंडा दामाद तो उसकी लडकी, गोविंदा को जानी लीवर के पास गुंडा बनने की ट्रेनिंग दिलवाती है == तो इस बेरोजगार ने चोरी करने की ट्रेनिंग लेनी चाही उसे बताया गया कि आधी रात के बाद जाना, दबे पांव जाना और कोई चीज़ टक्कर से गिर जाए तो बिल्ली की बोली बोलना म्याऊँ “”
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“ अरे भाई, कम्प्यूटरमें तो जैसी जानकारी भर दोगे वैसे ही नतीजे पा लोगे | सिखा दो कंप्यूटर को कि दो गुनी दो सात | बस वह इसी हिसाब से सारी गणनाएं आपको कर देगा | एक अरब साल बाद क्या होगा? जो चाहो कह लो, जैसे कि उस पुराने चुटकुले में ख्वाजा नासिरुद्दीन ने बीस साल में गधे को इंसानों की बोली बोलना सिखाने का वायदा किया था | ‘ बीस साल में या तो गधा मर जाएगा, या बादशाह ' |