भठियारा का अर्थ श्सराय का मालिकश् हैए पर इसका इस्तेमाल गाली के अर्थ में किया जाता है।
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तपेसर झा बोले थे, “ उ परिवार ओरे से भठियारा है.... कि नाम से कि...! ”
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बिहार में मुस्लिम पिछड़ी जातियों के अन्तर्गत कलन्दर, चीक, चुड़िहार, दफाली, धोबी, धुनिया, नट, नालबंद, पामरिया, भठियारा, मदारी, मेहतर, लालबेगी, हलालखोर और भंगी, मिरयासिन, मुकेरी, रंगरेज, राइन, साईं, इदरीसी (दर्जी) इत्यादि को स्थान दिया गया है।
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पैदल सैनिकों की हमेशा से बलि दी जाती रही है, शतरंज ही नहीं युद्ध में भी-मध्य काल में इन सिपाहियों को आम नागरिकों का प्रतिनिधि माना जाता था-तब पहला प्यादा किसान, दूसरा लोहार, तीसरा बुनकर, चौथा व्यवसायी, पाँचवाँ डॉक्टर, छठा भठियारा, सातवाँ सिपाही और आठवाँ जुआरी कहा जाता था लेकिन कालांतर में सब के सब सिपाही हो गए-नाम भले बदल दिए गए हों, सत्ता और शतरंज आज भी सबसे पहले इन्हीं आम नागरिकों की बलि माँगता है...