एक दम शांत माहौल में एकाएक दंगा भड़क उठना राज्य सरकार की कानून व्यवस्था और वोट बैंक की तुच्छ राजनीति पर कई प्रश्न खड़े करता है।
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एक दम शांत माहौल में एकाएक दंगा भड़क उठना राज्य सरकार की कानून व्यवस्था और वोट बैंक की तुच्छ राजनीति पर कई प्रश्न खड़े करता है।
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श्रमिक कैसे मुश्किल वर्कलोड, सहकर्मी, असहमति और अन्य समस्याओं कि किसी भी कार्यस्थल में भड़क उठना कर सकते हैं के तनाव के साथ सौदा करने के लिए सीखना होगा.
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धूप की तरह धरती पर खिल जाना और फिर आलिंगन में सिमट जाना बारूद की तरह भड़क उठना और चारों दिशाओं में गूँज जाना जीने का यही सलीका होता है।
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दक्षिणी-पूर्वी आस्ट्रेलिया में लंबा सुखाड़ हो जाने से दसियों हजार किलोमीटर दूर हैती और सेनेगल में दंगे भड़क उठना, या यहां भारत में ही अपनी कार्यकुशलता का ढोल पीट रही केंद्र सरकार का अचानक संकटग्रस्त दिखने लगना हकीकत का सिर्फ एक पहलू है।
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धूप की तरह धरती पर खिल जाना, और फिर आलिंगन में सिमट जाना, बारूद की तरह भड़क उठना, और चारों दिशाओं में गूंज जाना, जीने का यही सलीका होता है, प्यार करना और जीना उन्हें कभी नहीं आयेगा, जिन्होंने जिदंगी को बनिया बना दिया है।
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प्यार करना और लड़ सकना जीने पर ईमान ले आना मेरी दोस्त, यही होता है धूप की तरह धरती पर खिल जाना और फिर आलिंगन में सिमट जाना बारूद की तरह भड़क उठना और चारों दिशाओं में गुंज जाना-जीने का यही सलीका होता है प्यार करना और जीना उन्हे कभी नहीं आएगा जिन्हें जिन्दगी ने व्यापारी बना दिया
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पंजाबी कवि अवतार सिंह संधू पाश ने कहा था प्यार करना और लड़ सकना जीने पर ईमान ले आना मेरी दोस्त, यही होता है धूप की तरह धरती पर फैल जाना और फिर आलिंगन में सिमट जाना बारूद की तरह भड़क उठना चारों दिशाओं में गूंज जाना जीने का यही सलीका होता है मेरी दोस्त प्यार करना और जीना उन्हें कभी न आएगा जिन्हें जिंदगी ने बनिए बना दिया।