हिंदी में भावार्थ-अपनी समृद्धि के लिये सभी प्रयास करते हैं पर अगर किसी को अपने प्रयत्नों से भी सफलता नहीं मिलती तो उसे अपनी भाग्यहीनता की निंदा स्वयं नहीं करना चाहिए।
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श्री कुबेर कृपा यंत्र शास्त्रों के अनुसार दरिद्रता, भाग्यहीनता, आर्थिक उन्नति के बाधक होने पर जीवन की विषमताओं को दूर करने के लिए श्री कुबेर कृपा यंत्र आश्चर्यजनक रूप से फल देता है।
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पुत्र जन्मा तो बहार आ गई, हँसी-खुशी, राग-रंग, बधाइयाँ, भोज, दावतें और न जाने क्या-क्या? पुत्री जन्मी तो पतझर, दुःख, निराशा और भाग्यहीनता के उच्छ्वास।
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खराब हुए ' को भाग्यहीनता ' कह-कहकर विलाप करता ररत है तो वह अपना वर्तमान भी खराब करता रहता है और अपना भविष्य अच्छा होने की दृष्टि से भी अपना समय और श्रम नष्ट करता रहता है।
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क्या आपको मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। यह भाग्यहीनता के लक्षण हो सकते हैं। भाग्य का साथ नहीं मिलने के कई कारण होते हैं जिनमें आपके जंघे की बनावट और जांघों पर मौजूद बाल भी एक महत्वपूर्ण कारण है।
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विभिन्न भावों में मंगल के फल: मानसागरी के अनुसार मंगल के विभिन्न भावों में स्थित होने से निम्न फल मिलते हैं: प्रथम-शरीर में रोग, चंचलता, द्वि तीय-तेजी और चटोरापन, तृतीय-विद्या, साहस, चतुर्थ-कष्ट, दुख, पंचम-धन व संतान की कमी, षष्ठ-शक्ति, शत्रु विजय, सप्तम-पत्नी से तिरस्कार, अष्टम-अच्छा स्वास्थ्य व सुख, नवम-चोट, भाग्यहीनता, दशम-विद्या व साहस, एकादश-धन व सम्मान और द्वादश-निर्धनता व बीमारी।