दोस्तों, कुछ गीत दिलको छू जाते है ऐसे विचार भाव संगीत होता ही की हम जुड जाते...
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डरावनी फिल्मों और दुखांत नाटकों में भय और उदासी का भाव संगीत के उपयोग से भी जगाया जाता है।
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भाव संगीत में शास्त्रीय संगीत के समान न कोई बन्धन होता है और न उसका नियमित शास्त्र ही होता है।
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भाव संगीत में शास्त्रीय संगीत के समान न कोई बन्धन होता है और न उसका नियमित शास्त्र ही होता है।
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मोटी विवेचना में सत्संग-प्रवचन को ' शब्द ' और भक्ति भरे भाव संगीत को ' नाद ' ब्रह्म कहते हैं ।।
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दरअसल उनकी संगीत-दृष्टि अपने घराने से होती हुई बहुत दूर, दूसरे घरानों, संगीत के लोकप्रिय रूपों, मराठी नाट्य और भाव संगीत, कन्नड़ भक्ति-गायन और कर्नाटक संगीत तक जाती थी।
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जीवन झूम उठता है और गूँजता है भक्ति का भाव संगीत, जो किन्हीं भी सात सुरों का मोहताज नही होता, बल्कि इसमें तो सभी सुर-ताल लय हो जाते हैं।
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भीमसेन जोशी की संगीत-दृष्टि अपने घराने से होती हुई बहुत दूर, दूसरे घरानों, संगीत के लोकप्रिय रूपों, मराठी नाट्य और भाव संगीत, कन्नड़ भक्ति-गायन और कर्नाटक संगीत तक जाती थी।
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जीवन का तात्पर्य मानव जीवन से है, पशु-पक्षी जीवन से नहीं और संगीत से तात्पर्य केवल शास्त्रीय संगीत ही नहीं, बल्कि भाव संगीत, चित्र पट संगीत, लोक संगीत, आदि से भी है।
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भाव संगीत का मुख्य और एकमात्र उद्देश्य कानों को अच्छा लगना है, अत: उसमें कोई बन्धन नहीं रहता-चाहे कोई भी स्वर प्रयोग किया जाए, चाहे जिस ताल में गाया जाए व आलाप, तान, सरगम, आदि कुछ भी प्रयोग किया जाए अथवा न प्रयोग किया जाए।