भारत के सन् दर्भ में जब एक भाषा इसके वक् ता समुदाय के भाग् य को प्रभावित करती है, तब ये निश्चि त ही उस समुदाय के लिए आवश् यक हो जाऐगा कि वह भाषागत रूप से समृद्वि की भाषा की ओर जाऐगा और उसका अपनी भाषा के रूप में आलिंगन करेगा जबकि देशी अन् धविश् वासी लोग सोचते रह जायेंगे (प्रायः अंगरेजी के बारे में) कि अंगरेजी के प्रभाव का सामना कैसे किया जाये।