और इसी पद्धति में लक्ष्य भाषा के भावक के मानसलोक और बौद्धिक स्तर, भाषा-क्षेत्र के परिवेश, संस्कृति, भाषा संरचना, लोक प्रयुक्तियाँ, विषय-निरूपण आदि तय करता है।
12.
अपने मूल भाषा-क्षेत्र से बाहर रह कर छोटे-मोटे रोजगार और खुदरा कारोबार में लगे लोगों को निकृष्टतम अर्थों में अपने ‘बाहरी ' होने का भारी दबाव झेलना पड़ रहा है।
13.
संसार की प्रत्येक भाषा का भाषा-क्षेत्र होता है जिसमें अनेक क्षेत्रगत भेद होते हैं जिन्हें उस भाषा की क्षेत्रीय बोलियों अथवा क्षेत्रीय उपभाषाओं के नाम से जाना जाता है।
14.
प्रोफेसर जैन का मानना है कि हिन्दी भाषा-क्षेत्र में बोले जाने वाले समस्त क्षेत्रगत, वर्गगत, शैलीगत आदि समस्त भाषिक रूपों की समष्टि की अमूर्तता का नाम हिन्दी है।
15.
प्रफुल्ल कोलख्यान जनसत्ता 31 अगस्त, 2012: अपने मूल भाषा-क्षेत्र से बाहर रह कर छोटे-मोटे रोजगार और खुदरा कारोबार में लगे लोगों को 'बाहरी' होने का भारी दबाव झेलना पड़ रहा है।
16.
डालमिया शिक्षण संस्थान समूह की चार दिवसीय स्कूल मीट में भाग लेने यहां आए करीब तीन सौ छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रस्तुतियों से भाषा-क्षेत्र का भेद मिटाकर अनेकता में एकता का संदेश देना शुरू कर दिया।
17.
एक दिन कक्षा में आदरणीय डॉ धीरेन्द्र वर्मा ने हिंदी की सीमा बतलाते हुए कहा-“ डॉ ग्रियर्सन के अनुसार भोजपुरी भाषा-क्षेत्र हिंदी के बाहर पड़ता है ; किन्तु मै ऐसा नहीं मानता. ”
18.
प्रत्येक भाषा क्षेत्र में किसी क्षेत्र विशेष के भाषिक रूप के आधार पर उस भाषा का मानक रूप विकसित होता है, जिसका उस भाषा-क्षेत्र के सभी क्षेत्रों के पढ़े-लिखे व्यक्ति औपचारिक अवसरों पर प्रयोग करते हैं।
19.
इन क्षेत्रगत भिन्न भाषिक रूपों के अतिरिक्त प्रत्येक भाषा का उस भाषा-क्षेत्र की किसी बोली के आधार पर विकसित मानक भाषा रूप भी होता है जिसका उस भाषा के शिक्षित व्यक्ति औपचारिक अवसरों पर प्रयोग करते हैं।
20.
प्रत्येक भाषा क्षेत्र में किसी क्षेत्र विशेष के भाषिक रूप के आधार पर उस भाषा का मानक रूप विकसित होता है, जिसका उस भाषा-क्षेत्र के सभी क्षेत्रों के पढ़े-लिखे व्यक्ति औपचारिक अवसरों पर प्रयोग करते हैं।