निश्चित रूप से यह परिवर्धन (परिवर्तन नहीं),रोमांचक है.| आप विश्व-समाचार ही नहीं भाषा-संस्कार भी दे रही हैं.
12.
उनके भाषा-संस्कार के घनत्व, जीवन्त प्रांजलता और सम्प्रेषण ने हमारे समय के अनेक पेचीदा सच आलोकित किए हैं।
13.
क्या वे सचमुच सठिया ही गए हैं? अज्ञेय शमशेर की कविता की भाषा को हिन्दी भाषा-संस्कार से हीन मानते हैं।
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लेकिन मातृभाषा की उपेक्षा कर शिक्षा के माध्यम से उसे हटाकर जिस तरह के भाषा-संस्कार डाले जा रहे हैं, वह खतरनाक है।
15.
भाषा-संस्कार संस्कृत वाला या अंग्रेजी प्रभाव वाला? हिन्दी भाषा के तीसरे रूप-जिसमें उर्दू हिन्दी का गंगा जमुनी रूप अज्ञेय शायद स्वीकार नहीं करते।
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अब वह अपना भाषा-संस्कार छोड़ ऐसे मुहावरों की तरपफ बढ़ रही है जिस पर या तो हँसा जा सकता है या दया की जा सकती है।
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मुझे सब से ज़्यादा खुशी इस बात की हुई, कि मेरी “ विरल मेधा और दिव्य तर्कणा ” आपको कुमार विश्वास जी के भाषा-संस्कार के समकक्ष लगी।
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अगर उर्दू की नफासत एक सामाजिक मूल्य की दें है तो संस्कृत-परंपरा और उसका भाषा-संस्कार भी, जिसके अज्ञेय हिमायती हैं-एक खास आभिजात्य-ब्राह्मणवादी सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्य की ही देन है।
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जो कुछ कार्य द्विवेदीजी ने किया, वह अनुवाद का हो, काव्य रचना का हो, आलोचना का हो अथवा भाषा-संस्कार का हो, या केवल साहित्य-नेतृत्व का ही हो-वह स्थायी महत्व का हो या अस्थायी-हिंदी में युग विशेष के प्रवर्तन और निर्माण में सहायक हुआ है, और उसी के आधार पर नवीन युग का साहित्य प्रासाद ख़ड़ा किया जा सका है।