1. भूतवाद के अनुसार जो कुछ है वह भूत ही है, जिसे हम आत्मा कहते हैं वह
12.
मेरे लिखने क़ा मतलब कुछ यह भी निकाल सकतें हैं है कि मैं भी संघ या लेफ्ट कि विचारधारा से प्रभवित हूँ लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं है... मैं भूतवाद से प्रभावित हूँ...
13.
इनके स्थान पर आत्मा के सच्चे स्वरूप के विषय में सामाजिक कर्तव्य के विषय में उस युग के तत्ववादियों के विभिन्न मतों का एक जंजाल ही दिखाई देने लगा था, उदाहरणार्थ प्रज्ञावाद, नियतिवाद, भूतवाद, स्वभाववाद, यदृच्छावाद, सद्सद्वाद, योनिवाद आदि चिन्तनधाराएँ उस काल में जन्म ले चुकी थीं, परिणामतः समाज लड़खड़ा रहा था और मतिभ्रम उत्पन्न हो गया था।