कहानी में कथा और कथ्य साफ-साफ दीखते हैं, शब्द और अर्थ की तरह भूमिखंड और इतिहास के कालबोध की तरह, पर लघुकथा में संपूर्ण कथा ही कथ्य बन जाती है अथवा संपूर्ण कथ्य ही कथरूप ले लेता है।
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-द्वितीय धारा--जिसमें मूलतः अरब भूमिखंड, उत्तरी अफ्रीकी देश आदि थे, जिनमें मूलतः पुरुष सत्तात्मक समाज होने पर भी आदम व हव्वा-कथा के कारण..स्त्री को उपभोग, लूट व वलात्कार की सामग्री समझा जाता रहा और अत्याचारों का सिलसिला रहा |
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इस सूक्त के अनुसार जन समूह, जो एक सुनिश्चित भूमिखंड में रहता है, संसार में व्याप्त और इसको चलने वाले परमात्मा अथवा प्रकृति के अस्तित्व को स्वीकारता है, जो बुद्धि या ज्ञान को प्राथमिकता देता है और विद्वजनों का आदर करता है, और जिसके पास अपने देश को बाहरी आक्रमण और आन्तरिक, प्राकृतिक आपत्तियों से बचाने और सभी के योगक्षेम की क्षमता हो, वह एक राष्ट्र है।
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इस सूक्त के अनुसार जन समूह, जो एक सुनिश्चित भूमिखंड में रहता है, संसार में व्याप्त और इसको चलने वाले परमात्मा अथवा प्रकृति के अस्तित्व को स्वीकारता है, जो बुद्धि या ज्ञान को प्राथमिकता देता है और विद्वजनों का आदर करता है, और जिसके पास अपने देश को बाहरी आक्र मण और आन्तरिक, प्राकृतिक आपत्तियों से बचाने और सभी के योगक्षेम की क्षमता हो, वह एक राष्ट्र है।
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इस सूक्त के अनुसार जन समूह, जो एक सुनिश्चित भूमिखंड में रहता है, संसार में व्याप्त और इसको चलने वाले परमात्मा अथवा प्रकृति के अस्तित्व को स्वीकारता है, जो बुद्धि या ज्ञान को प्राथमिकता देता है और विद्वजनों का आदर करता है, और जिसके पास अपने देश को बाहरी आक्रमण और आन्तरिक, प्राकृतिक आपत्तियों से बचाने और सभी के योगक्षेम की क्षमता हो, वह एक राष्ट्र है।
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अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में यह परिकल्पना प्रस्तुत की कि महाद्वीपों के टूट कर प्रवाहित होने से पहले वे एकीकृत भूमिखंड के रूप में थे. [7] वेगेनर का सिद्धांत स्वतन्त्र रूप से बना था व अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक उत्कृष्ट था, बाद में वेगेनर ने कुछ पुराने लेखकों को मिलते जुलते विचारों का श्रेय दिया:[8][9] फ्रेंकलिन कॉक्सवर्दी (1848 तथा 1890 के बीच),[10] रॉबर्टो मन्टोवानी (1889 तथा 1909 के बीच), विलियम हेनरी पिकरिंग (1907)[11] और फ्रैंक बर्सले टेलर (1908).