यदि वे पत्रकार अपनी इस भूल को सुधारना चाहते हैं तो इस गीत के गीतकार आचार्य डॉ. नरेन् द्र देव वर्मा जी को 8 सितम् बर को उनकी पुण् यतिथि पर हृदय से श्रद्धांजली अर्पित करें।
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मैंने उनसे कहा, “ अंकल जी जहां तक मैंने सुना है कि आपने तो अपने बेटे की शादी में जमकर दहेज़ लिया था फिर दहेज़ देने में भला आपत्ति क्यों? ” वह गंभीर होकर बोले, “ बेटी वह मेरी भूल थी अब मैं उस भूल को सुधारना चाहता हूँ. ”
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आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ, आपकी लिखी कविता मैंने अपने ब्लॉग पर लगायी | लेकिन विश्वास करिए ये बिलकुल अनजाने में हुआ| मुझे ये एक मेल में प्राप्त हुआ और नादानी वश बिना लेखक का नाम खोजे मैंने इसे ब्लॉग पर पोस्ट कर दिया | लेकिन अब अपनी इस भूल को सुधारना चाहता हूँ, अगर आपकी इजाजत हो तो आपके नाम से पोस्ट दुबारा पोस्ट करना चाहता हूँ, जिसमे आपका संछिप्त परिचय आपके ब्लॉग-लिंक के साथ होगा |