भोजपत्र के पेड़ों की अधिकता के कारण ही इस स्थान का नाम भोजवासा पड़ा था परंतु वर्तमान में इस जगह भोज वृक्ष गिनती के ही बचे हैं ।
12.
भोजवासा में भोज वृक्ष लगातार घट रहे हैं, यहां भोजपत्र के वृक्षों को तोड़कर यात्री व पर्यटक अपने साथ ले जाना शुभ मानते हैं और यही एक बड़ी वजह भी रही भोज वृक्ष सिमट गए हैं।
13.
भोजवासा में भोज वृक्ष लगातार घट रहे हैं, यहां भोजपत्र के वृक्षों को तोड़कर यात्री व पर्यटक अपने साथ ले जाना शुभ मानते हैं और यही एक बड़ी वजह भी रही भोज वृक्ष सिमट गए हैं।
14.
भोजवासा में भोज वृक्ष लगातार घट रहे हैं, यहां भोजपत्र के वृक्षों को तोड़कर यात्री व पर्यटक अपने साथ ले जाना शुभ मानते हैं और यही एक बड़ी वजह भी रही भोज वृक्ष सिमट गए हैं।
15.
भोजवासा में भोज वृक्ष लगातार घट रहे हैं, यहां भोजपत्र के वृक्षों को तोड़कर यात्री व पर्यटक अपने साथ ले जाना शुभ मानते हैं और यही एक बड़ी वजह भी रही भोज वृक्ष सिमट गए हैं।
16.
उसे देखकर चाय की नन्हीं-नन्हींपत्तियाँ भी पास की पहाड़ियों पर हिलने लगतीं, मानो कह रही हों-अमल चायपियोगे? एक दिन भोज वृक्ष ने अपने ऊपर लिपटी हुई छाल उतार कर अमल की ओर बढ़ा दी औरकहा-यह भेंट तुम्हारे लिए है.