एक बार में परोसी जाने वाली मदिरा की मात्रा कई बातों पर निर्भर करती है जैसे मदिरा का प्रकार, प्रयोजन, भौगोलिक वातावरण, सरकारी विनियम और स्वास्थ्य।
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[17] आज पर्यटक कहीं पर घूमने से पहले अपनी वरीयता सूची में उन स्थानों को पसंद करते हैं जहाँ का भौगोलिक वातावरण सुखद हो और पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त हो।
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[17] आज पर्यटक कहीं पर घूमने से पहले अपनी वरीयता सूची में उन स्थानों को पसंद करते हैं जहाँ का भौगोलिक वातावरण सुखद हो और पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त हो।
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दूसरों के अनुसार नागरीकरण (urbanization), संकरण (cross breeding), सामाजिक आर्थिक अवस्था (socio economic status), भौगोलिक वातावरण आदि का भी प्रभाव लिंगानुपात पर पड़ता है।
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अगर भूगोल का एक शिक्षक पृथ्वी को मानव का निवास स्थान मानकर उसकीभौगोलिक परिस्थितियों के वर्णन को प्रधानता देता है, तो दूसरा शिक्षकमानव की आर्थिक व सामाजिक क्रियाओं का सम्बन्ध भौगोलिक वातावरण सेस्थापित करके कार्य-कारण (छउसे-एङ्ङेच्ट्) सम्बन्ध स्थापित करता है.
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कुमारी सेंपुल (1863-1932) की रचनाओं जैसे “ भौगोलिक वातावरण के प्रभाव ” “ अमरीकी इतिहास तथा उसकी भौगोलिक स्थिति ” तथा “ भूमध्यसागरीय प्रदेश का भूगोल ” से ऐतिहासिक तथा खौगोलिक तथ्यों का पूर्ण ज्ञान होता है।
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धर्म यदि जीवन की आचरण संहिता है तो एक भौगोलिक वातावरण में एक ही धर्म हो सकता है, कई धर्म होंगे तो अपनी-अपनी भौगोलिक परिस्थितिजन्य मान्यताओं के अनुरूप आवश्यकताओं को एक-दूसरे पर थोपने का प्रयास करेंगे जो निश्चित ही टकराव का कारण बनेगा।
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किसी बच्चे की 16 वर्श की उम्र मे प्रारम्भ होकर 18 वर्श की उम्र मे भी फ्यूजन होता है एवं खानपान के साथ-साथ बच्चे के खानपान एवं भौगोलिक वातावरण की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है इसी आधार पर डाक्टर द्वारा आयु के सम्बन्ध मे दी गई राय मे माननीय उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के अनुसार दो वर्श का दोनो ओर अन्तर होना सम्भव है।
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इस कारण जन् मकुंडली के ग्रहों के प्रभाव के आधार पर भविष् यवाणी करते हुए हम व् यक्ति के पूरे जीवन के उतार चढाव का लेखाचित्र खींच देते हैं, पर उतार में व् यक्ति कितना नीचे चला जाएगा और चढाव में कितना उपर, इसे बताना संभव नहीं, क् यूंकि हम व् यक्ति की क्षमता को, उसके जीन को, उसके पारिवारिक वातावरण को, उसके भौगोलिक वातावरण को ग्रहों से नहीं समझ सकते।
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--प्रस्तुतकर्ता) किन्तु, भारत के भौगोलिक वातावरण से और भारत के प्राकृतिक परिस्थितियों से संघर्ष करने के लिए केवल पाश्चात्य जगत् के उधार के उधार से हमारा काम नहीं चलने का और यदि किसी सीमा तक चल भी जाय तो, हम अपने देश को विज्ञान के उस स्तर तक नहीं ला सकेंगे, जिस स्तर तक कि अन्य देश अपनी नई-नई खोजों को, नये-नये यन्त्र-निर्माण के द्वारा पहुँच गये हैं और आगे भी पहुँचेंगे।