शुक्र भ्रमन प्रख्यात बांग्ला विज्ञान लेखक और शांति निकेतन में अध्यापक श्री जगदानंद राय ने इस विज्ञान कथा को लिखा तो सन् 1857 में था पर किन्हीं कारणों से इसे प्रकाशित होने में 22 वर्ष लग गये और ये प्रकाशित हुई सन् 1879 में।
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हमने विदेश भ्रमन के दो रंपाया की भरत हिएसा देश हे जहाँ मात्र भाषा बोलने मे शर्म आती हे याहन नूक्री पाने की लिए एंगलिश आना ज़रूरी हे वेह लोग तो सीदा केह हे की हेमे एंगलिश नही आती आप हमारी भाषा मे बटाए की क्य क्रवाना हे yogitaa delhi