कलश स्थापना के समय जिन श्लोकों का उच्चारण और जो भावना व्यक्त की जाती है उसी से स्पष्ट है कि कलश क्यों मंगलसूचक है।
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उनका मत है कि ब्राह्मण का नाम मंगलसूचक, क्षत्रिय का नाम बलसूचक, वैश्य का नाम धनसूचक और शूद्रों का नाम निंदासूचक होना चहिए।
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“ब्रह्मण का नाम मंगलसूचक शब्द से युक्त हो, क्षत्रिय का बल्सूचक शब्द से युक्त हो, वैश्य का धव्वाचक शब्द से युक्त हो और शूद्र का निंदित शब्द से युक्त हो.”
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“ ब्रह्मण का नाम मंगलसूचक शब्द से युक्त हो, क्षत्रिय का बल्सूचक शब्द से युक्त हो, वैश्य का धव्वाचक शब्द से युक्त हो और शूद्र का निंदित शब्द से युक्त हो. ”
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जब अमंगल के परिहार के लिए मंगलसूचक शब्दों केमाध्यम से अमंगल की व्यंजना की जाती है, तो ऐसे प्रयोगों में नवीन अर्थ ग्राह्य होजाता है और ये प्रयोग मुहावरे का रूप धारण कर लेते हैं।
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प्रश्न: स्त्रियां मांग में सिन्दूर क्यों लगाती हैं? उत्तर: भारत में कुंकुम के अतिरिक्त सीमंत (मांग) में सिंदूर लगाना सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक माना जाता है और यह मंगलसूचक भी है।
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आशिर्वाद:-आशीर्वाददाता भी अभिवादनकर्ता के मंगल एवं कल्याण के लिए या तो उसके सिर पर हाथ रखता है या हाथ उठाकर आशिर्वाद देता है या, और मंगलसूचक शब्द, वाक्यांश आदि व्यक्त करता है।
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आशिर्वाद:-आशीर्वाददाता भी अभिवादनकर्ता के मंगल एवं कल्याण के लिए या तो उसके सिर पर हाथ रखता है या हाथ उठाकर आशिर्वाद देता है या, और मंगलसूचक शब्द, वाक्यांश आदि व्यक्त करता है।
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जब अमंगल के परिहार के लिए मंगलसूचक शब्दों के माध्यम से अमंगल की व्यंजना की जाती है, तो ऐसे प्रयोगों में नवीन अर्थ ग्राह्य हो जाता है और ये प्रयोग मुहावरे का रूप धारण कर लेते हैं।
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जब अमंगल के परिहार के लिए मंगलसूचक शब्दों के माध्यम से अमंगल की व्यंजना की जाती है, तो ऐसे प्रयोगों में नवीन अर्थ ग्राह्य हो जाता है और ये प्रयोग मुहावरे का रूप धारण कर लेते हैं।