इसका एक मतलब यह भी है कि इस्लाम में “आना” वन-वे ट्रैफ़िक है, कोई इस्लाम में आ तो सकता है, लेकिन जा नहीं सकता (इसी से मिलता-जुलता कथन फ़िल्मों में मुम्बई का अण्डरवर्ल्ड माफ़िया भी दोहराता है), तो इससे क्या समझा जाये? सोचिये कि इस कथन और व्याख्या से कोई गैर-इस्लामी व्यक्ति क्या समझे? और जब कुर-आन की ऐसी व्याख्या मदरसे में पढ़ा(?) कोई मंदबुद्धि व्यक्ति सुनेगा तो वह कैसे “रिएक्ट” करेगा?
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इसका एक मतलब यह भी है कि इस्लाम में “आना” वन-वे ट्रैफ़िक है, कोई इस्लाम में आ तो सकता है, लेकिन जा नहीं सकता (इसी से मिलता-जुलता कथन फ़िल्मों में मुम्बई का अण्डरवर्ल्ड माफ़िया भी दोहराता है), तो इससे क्या समझा जाये? सोचिये कि इस कथन और व्याख्या से कोई गैर-इस्लामी व्यक्ति क्या समझे? और जब कुर-आन की ऐसी व्याख्या मदरसे में पढ़ा(?) कोई मंदबुद्धि व्यक्ति सुनेगा तो वह कैसे “रिएक्ट” करेगा?
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इसका एक मतलब यह भी है कि इस्लाम में “ आना ” वन-वे ट्रैफ़िक है, कोई इस्लाम में आ तो सकता है, लेकिन जा नहीं सकता (इसी से मिलता-जुलता कथन फ़िल्मों में मुम्बई का अण्डरवर्ल्ड माफ़िया भी दोहराता है), तो इससे क्या समझा जाये? सोचिये कि इस कथन और व्याख्या से कोई गैर-इस्लामी व्यक्ति क्या समझे? और जब कुर-आन की ऐसी व्याख्या मदरसे में पढ़ा (?) कोई मंदबुद्धि व्यक्ति सुनेगा तो वह कैसे “ रिएक्ट ” करेगा?
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जागरण संवाददाता, राउरकेलाः उदितनगर थाना अंचल के कचहरी रोड के पास रहने वाला एक मंदबुद्धि व्यक्ति कहीं लापता हो गया है। उसके लापता होने की शिकायत थाना में की गई है। लेकिन उसका कोई सुराग न मिलने से परिजनों में चिंता देखी जा रही है। कचहरी रोड में कैलाश पुरी के पास रहनेवाले बंकटलाल अग्रवाल के साथ उसका मौसेरा भाई सत्यनारायण अग्रवाल उर्फ सरतू (40) भी रहता था। लेकिन वह मंदबुद्धि तथा मानसिक रूप से कमजोर है। बताया जाता है कि गत 14 सितंबर की सुबह करीब दस बजे वह घर से निकला था। देर शाम