मैं सोच रहा था और इस खामोश मग्नता को शब्द दे रहा था: उसके होंठ अर्जदार, नम और हमेशा हल्के से खुले थे मानो वह उन्हें बंद करना भूल गयी है;
12.
मेरे मित्र को मेरी वह मग्नता (कृपया इसे नंगता न पढ़ें) शायद भायी नहीं, तभी वह ज़हरीले सर्प सा फुंफकारा, “ याऽऽऽर, टिकट के पैसे तो दो... ट्रेन आने ही वाली है... । ”
13.
मैं सोच रहा था और इस खामोश मग्नता को शब्द दे रहा था: उसके होंठ अर्जदार, नम और हमेशा हल्के से खुले थे मानो वह उन्हें बंद करना भूल गई है ; काले, लपकते बालों के घनत्व के कारण उसका चेहरा छोटा लगता था...
14.
हमारे देश में देश का कोई व्यक्ति अगर कुछ खबरे लेना चाहता हे सुचना के अधिकार के तहत सूचनाएं मग्नता हे तो सीधा जवाब होता हे के इस जवाब से देश की सुरक्षा को खतरा हे इसलियें यह सुचना दिया जाना सम्भव नहीं हे हमारी रक्षा प्रणाली, सुरक्षा प्रणाली.
15.
कवि एक ऐसी दुनिया का सपना देखता है जहाँ सभी सुरक्षित हों, खुशहाल हों,पर्याप्त अन्न हो, बूढ़ों के लिए सकून की नींद और बच्चों के लिए खेल हों-जहाँ ढील हेरती औरतें /गा रही हों झूमर अपनी पूरी मग्नता में/लड़कियाँ बेपरवाह झूल रहे हों रस्सियों पर झूले/ मचल रहे हों जनमतुआ बच्चे अघाए हुए।
16.
समर्पण भाव से अभिभूत एकीभूत आलिंगन के फलीभूत पृथकता के द्वैत भाव को मेटकर तन-मन की एकचित्तता, मग्नता एवं एकात्मता में अस्तित्व के हेतु भोग से प्राप्त ‘ कामानन्द ' की स्थितियों को पाषाण खंडों में उत्कीर्ण करने वाले नर-नारी युग्मों के कलात्मक शिल्प वैभव को चरम मानसिक आनन्द करने का हेतु माना गया।
17.
समर्पण भाव से अभिभूत एकीभूत आलिंगन के फलीभूत पृथकता के द्वैत भाव को मेटकर तन-मन की एकचित्तता, मग्नता एवं एकात्मता में अस्तित्व के हेतु भोग से प्राप्त ‘ कामानन्द ' की स्थितियों को पाषाण खंडों में उत्कीर्ण करने वाले नर-नारी युग्मों के कलात्मक शिल्प वैभव को चरम मानसिक आनन्द प्राप्त करने का हेतु माना गया था।
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कवि एक ऐसी दुनिया का सपना देखता है जहाँ सभी सुरक्षित हों, खुशहाल हों, पर्याप्त अन्न हो, बूढ़ों के लिए सकून की नींद और बच्चों के लिए खेल हों-जहाँ ढील हेरती औरतें / गा रही हों झूमर अपनी पूरी मग्नता में / लड़कियाँ बेपरवाह झूल रहे हों रस्सियों पर झूले / मचल रहे हों जनमतुआ बच्चे अघाए हुए।