मत्तता में सर्दी का अहसास तो नहीं होता लेकिन वह कभी कभी मौत का कारण भी बन जाती है।
12.
ग्रीक महाकाव्यों का ' नेक्टार ' और आर्यों का ' सोमरस ' केवल देवोपम निश्चिंतता और आनंदयुक्त मत्तता देते हैं।
13.
धारा ८६ किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
14.
धारा ८५ ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
15.
दोपहर का भोजन 3. शराब पीने के समय खाई जाने वाली चटपटी चीज़ें ; चाट 4. नशा ; मद ; मत्तता ; मस्ती 5. नशीली चीज़ ; मादक पदार्थ।
16.
सोचतीं, क्यों न ब्रज में मिला जन्म जो, कृष्ण का संग पातीं सहज दो घड़ी॥यों महारास रस है बरस-सा रहा, है सरस यह रसा डोलती लोल-सी।आज की चांदनी से छनी यामिनी, है मही पर रही मत्तता घोल-सी॥नाचते गोपियों संग माधव मुदित, नाचती सृष्टि सारी निहारी गई।
17.
हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिनमें राग जागा, वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा, एक अंतर से ध्वनित हों दूसरे में जो निरंतर, भर दिया अंबर-अवनि को मत्तता के गीत गा-गा, अंत उनका हो गया तो मन बहलने के लिए ही, ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है?
18.
वह अपने घमंड में उन सब कामों को तो सदा याद रखता था और उनका चर्चा किया करता जिन् हें वह अपनी समझ में पुण् य के निमित्त किए हुए समझा था पर उन कर्तव् य कामों का कभी टुक सोच न किया जिन् हें अपनी उन् मत्तता से अचेत होकर छोड़ दिया था।
19.
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है? हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिसमें राग जागा,वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा, एक अंतर से ध्वनित हो दूसरे में जो निरन्तर, भर दिया अंबरअवनि को मत्तता के गीत गागा,अन्त उनका हो गया तो मन बहलने के लिये ही,ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है?
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हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिनमें राग जागा, वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा, एक अंतर से ध्वनित हों दूसरे में जो निरंतर, भर दिया अंबर-अवनि को मत्तता के गीत गा-गा, अंत उनका हो गया तो मन बहलने के लिए ही, ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है?