(2) बिना नफरत फैलाए या नफरत फैलाने की कोशिश किये, अवज्ञा या विद्रोह भड़काए बिना सरकार के कार्यों की आलोचना करने वाले मत प्रकट करना जिसमें कानूनी रूप से उन्हें सुधारने की बात हो, तो यह इस धारा के अंतर्गत अपराध नहीं माना जायेगा।
12.
अपना साहित्य प्रकाशित करना तथा अन्य प्रकाशित साहित्य पर अपना मत प्रकट करना यह एक अच्छा अनुभव होगा| यह एक सामुदायिक जालस्थल है जहां आप अपने लोगों से हिंदी मे बाते कर सकेंगे| हिंदी साहित्य तथा अन्य सम-समान विचारों के लोगों से मिलने का अनुभव भी खास रहेगा|
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अपना साहित्य प्रकाशित करना तथा अन्य प्रकाशित साहित्य पर अपना मत प्रकट करना यह एक अच्छा अनुभव होगा| यह एक सामुदायिक जालस्थल है जहां आप अपने लोगों से हिंदी मे बाते कर सकेंगे| हिंदी साहित्य तथा अन्य सम-समान विचारों के लोगों से मिलने का अनुभव भी खास रहेगा|
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(2) बिना नफरत फैलाए या नफरत फैलाने की कोशिश किये, अवज्ञा या विद्रोह भड़काए बिना सरकार के कार्यों की आलोचना करने वाले मत प्रकट करना जिसमें कानूनी रूप से उन्हें सुधारने की बात हो, तो यह इस धारा के अंतर्गत अपराध नहीं माना जायेगा।
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अपना साहित्य प्रकाशित करना तथा अन्य प्रकाशित साहित्य पर अपना मत प्रकट करना यह एक अच्छा अनुभव होगा | यह एक सामुदायिक जालस्थल है जहां आप अपने लोगों से हिंदी मे बाते कर सकेंगे | हिंदी साहित्य तथा अन्य सम-समान विचारों के लोगों से मिलने का अनुभव भी खास रहेगा |
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अपना साहित्य प्रकाशित करना तथा अन्य प्रकाशित साहित्य पर अपना मत प्रकट करना यह एक अच्छा अनुभव होगा | यह एक सामुदायिक जालस्थल है जहां आप अपने लोगों से हिंदी मे बाते कर सकेंगे | हिंदी साहित्य तथा अन्य सम-समान विचारों के लोगों से मिलने का अनुभव भी खास रहेगा |
17.
गिरिराज किशोर जी द्वारा प्रस्तुत में लिखे उनके विचारों और रामदेव शुक्ल जी द्वारा लिखी गई समीक्षा से उपजे भावों का ही असर था कि मैंने ' एक और क्रौंच वध' की समीक्षा करने का फैसला बदल दिया और पुस्तक के बारे में एक पाठक के तौर पर अपना मत प्रकट करना ही उचित समझा।
18.
अब कोई यह आपत्ति मत प्रकट करना कि वे तो तेजेन् द्र हैं पर मेरे लिए तो वे तेजेन् द्र से अधिक जितेन् द्र हैं क् योंकि जिस प्रकार जितेन् द्र अभिनय और नृत् य में महारत रखते हैं उसी प्रकार तेजेन् द्र (जितेन् द्र) कहानी लेखन के साथ वाचन में महारत रखते हैं।
19.
गिरिराज किशोर जी द्वारा प्रस्तुत में लिखे उनके विचारों और रामदेव शुक्ल जी द्वारा लिखी गई समीक्षा से उपजे भावों का ही असर था कि मैंने ' एक और क्रौंच वध ' की समीक्षा करने का फैसला बदल दिया और पुस्तक के बारे में एक पाठक के तौर पर अपना मत प्रकट करना ही उचित समझा।
20.
जब पूर्व में डाक्टरी प्रमाण पत्र ना होने के आधार पर पूर्व प्रार्थना पत्र खारिज किया गया है और तत्पष्चात प्रार्थना पत्र 300ग में डाक्टरी प्रमाण पत्र और गवाह का शपथ पत्र दाखिल किया गया है जिनके विरूद्ध कोई प्रतिषपथ पत्र भी नहीं है तो विद्धान विचारण न्यायालय द्वारा यह मत प्रकट करना कि कोई नया आधार प्रकट नहीं किया गया है, अपने आप मेंं इेनतक अपमू है और स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।