मध्यपाषाण और उत्तरपाषाण युग के छोटे पाषाणस्त्र एवं उन पर पालिश करने की कला के नमूने भी मिले हैं।
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बेलनघाटी में विंध्यपर्वत के उत्तरी पृष्ठों पर लगातार तीन अवस्थायें-पुरापाषाण, मध्यपाषाण व नवपाषाण काल एक के बाद एक पाई जाती हैं।
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बेलनघाटी में विंध्यपर्वत के उत्तरी पृष्ठों पर लगातार तीन अवस्थायें-पुरापाषाण, मध्यपाषाण व नवपाषाण काल एक के बाद एक पाई जाती हैं।
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पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल एवं नवपाषाण काल जो मानव इतिहास के आरम्भ (२५ लाख साल पूर्व) से लेकर काँस्य युग तक फ़ैला हुआ है।
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पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल एवं नवपाषाण काल जो मानव इतिहास के आरम्भ (२५ लाख साल पूर्व) से लेकर काँस्य युग तक फ़ैला हुआ है।
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सघन वन से ऊपर, धरती के बाहर निकले हुए इस विशाल बुलआ पत्थर में, प्राकृतिक रूप से बनी गुफ़ाओं के पाँच समूह हैं, इनमें मध्यपाषाण युग से लेकर ऐतिहासिक काल तक के चित्र बने हैं.
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मध्यपाषाण काल में फ्लिट, चार्ट, जैस्पर, अगेट जैसे पत्थरों से बनाये गये तेज धार वाले हथियार इन्द्रावती नदी के किनारों पर खास कर खड़क घाट, कालीपुर, भाटेवाड़ा, देउरगाँव, गढ़चंदेला, घाटलोहंगा के पास मिले हैं ; इन जगहों से अब भी कई तरह के खुरचन के यंत्र, अंडाकार मूठ वाला छुरा और छेद करने वाले औजार मिल रहे हैं।
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यहां इस वीथी में निम्नपुरापाषाण युगीन लगभग (4 लाख से 80 हजार वर्ष पूर्व), मध्यपाषाण युगीन (80 हजार से 20 हजार पूर्व), उत्तर पाषाण युगीन (20 हजार से 10 हजार वर्ष पूर्व), मध्य पाषाण काल (10 हजार से 5 हजार वर्ष पूर्व), नव पाषाण काल (5 हजार से 4 हजार वर्ष पूर्व) ताढााश्मकाल (4 हजार वर्ष पूर्व) के उपकरणों को प्रदर्शित किया गया है।