दूसरी: इस्लामी आस्था के मूल सिद्धान्तों में से यह है कि: अल्लाह की किताब “ क़ुरआन करीम ” सब से अन्त में उतरने वाली और सर्व संसार के पालनहार की तरफ से सब से नवीनतम पुस्तक है, और यह कि क़ुर्आन इस से पूर्व उतरने वाली हर किताब जैसे कि तौरात, ज़बूर और इंजील वगैरा को मनसूख करने वाला, और उस पर निरीक्षक है।
12.
अत: उस में से जो सहीह है वह इस्लाम के द्वारा मनसूख है, और जो उस के अलावा है वह विकृत या परिवर्तित है और उस में हेरा-फेरी की गई है, तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि जब आप ने उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु के पास एक पत्रिका देखा जिस में तौरात की कोई चीज़ लिखी थी तो आप क्रोधित हो गये और फरमाया: ” ऐ खत्ताब के बेटे! क्या तू शक में पड़ा है?
13.
(1) उलूमे क़ुरआन का इतिहास (2) क़ुरआन के नाम और क़ुरआन की विषेशताऐं (3) क़ुरआन का अर्बी भाषा में होना (4) वही की वास्तविकता और वही के प्रकार (5) क़ुरआन का उतरना (6) क़ुरआन का एकत्रित होना (7) क़ुरआन की विभिन्न क़िराअत (8) क़ुरआन की तहरीफ़ = फेर बदल (9) क़ुरआन का दअवा (10) क़ुरआन का मोअजज़ा (11) नासिख व मनसूख (12) मोहकम व मुतशाबेह।