परन्तु इस बोध के साथ साथ मुक्तिबोध में मनुष्य शक्ति के प्रति अनन्य आस्था भी है जो उन्हे सकारात्मक के चयन की ओर ले जाता है और उनके साहित्य में मनुष्य निरन्तर भीरुता को छोड़ता हुआ आगे बढ़कर अपना ऐतिहासिक दायित्व भी निभाता है।
12.
इसके अलावा उपरोक्त तीनो शक्तियों का समीकरण इसी दिन एकान्त वास मे बैठ कर किया जाता है, मनन और ध्यान करने की क्रिया को ही पूजा कहते है, एक समानबाहु त्रिभुज की कल्पना करने के बाद, साधन और मनुष्य शक्ति के देवता गणेशजी, धन तथा भौतिक सम्पत्ति की प्रदाता लक्ष्मीजी, और विद्या तथा पराशक्तियों की प्रदाता सरस्वतीजी की पूजा इसी दिन की जाती है।