ऋग्वेद गौ-हत्या को जघन्य अपराध घोषित करते हुए मनुष्य हत्या के तुल्य मानता है और ऐसा महापाप करने वाले के लिये दण्ड का विधान करता है |
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-ऋग्वेद गौ-हत्या को जघन्य अपराध घोषित करते हुए मनुष्य हत्या के तुल्य मानता है और ऐसा महापाप करने वाले के लिये दण्ड का विधान करता है |
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आरे गोहा नृहा वधो वो अस्तु (ऋग्वेद) गौ-हत्या जघन्य अपराध और मनुष्य हत्या जैसा है, ऐसा महापाप करने वाले के लिये घोर दण्ड का विधान है | २.
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इसके धारण करने से दोनों लोको में सुख की प्राप्ति होकर सदा भरण पोषण होता है गौं हत्या मनुष्य हत्या व रत्नों की चोरी जैसे पाप इसके उपयोग से नष्ट होते है।
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४९सदा ही रक्षा के पात्र गाय और बैल को मत मार | आरे गोहा नृहा वधो वो अस्तुऋग्वेद ७ ।५६।१७ऋग्वेद गौ-हत्या को जघन्य अपराध घोषित करते हुए मनुष्य हत्या के तुल्य मानता है और ऐसा महापाप करने वाले के
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४९सदा ही रक्षा के पात्र गाय और बैल को मत मार | आरे गोहा नृहा वधो वो अस्तुऋग्वेद ७ ।५६।१७ऋग्वेद गौ-हत्या को जघन्य अपराध घोषित करते हुए मनुष्य हत्या के तुल्य मानता है और ऐसा महापाप करने वाले के लिये दण्ड का विधान करता है | सूयवसाद भगवती हि भूया अथो वयं भगवन्तः
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आतंकवादी-पण अंत मा शराब, ड्रग्स आदि से मनुष्य हत्या ही हूंद तो तुम सभ्य, सुसंस्कृत लोग शराब, ड्रग्स का व्यापारियों तैं किलै ना आतंकवाद्यूँ श्रेणी मा धरदा भै? रिपोर्टर-वो तो.... वो तो आतंकवादी-चल एक बात बतादी तम्बाकू,बीड़ी-सिगरेट त मनुष्य की हत्यारा ही च?