जीवन अपनी इच्छा के अनुसार मनोगति से शरीर को संचालित करता है।
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मैंने सह-अस्तित्व में ही जीवन को एक विकसित परमाणु के रूप में गठन-पूर्णता के साथ मनोगति से वर्तमान होना देखा।
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पर जिनका जीवन गर्हित और संस्कार विकृत रहे होते हैं, उनकी मनोगति इसी प्रकार विपरीत दिशा में रहती है।
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प्रश्न: क्या जीवन की मनोगति अलग-अलग जीवों में अलग-अलग है?जीवन में अपने स्वत्व के रूप में मनोगति एक ही है।
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प्रश्न: क्या जीवन की मनोगति अलग-अलग जीवों में अलग-अलग है?जीवन में अपने स्वत्व के रूप में मनोगति एक ही है।
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फिर एक बात और भी है-सुंदर हो या कुरूप, जिसकी जिसमें मनोगति है, वही उसके लिए उर्वशी है, रम्भा है।
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~ हालसातवाहन सुरूप हो या कुरुप, जिसकी जिसमें मनोगति है, वही उसके लिए उर्वशी है, रंभा है तथा वही तिलोत्तमा है।
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ज्यों-ज्यों उन चमगादड़ों की उड़ान का मंडल छोटा होता जाता है, त्यों-त्यों मेरी मनोगति का मार्ग भी संकीर्णतर होता जाता है...
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जब मैंने उसकी प्रतीक्षा करनी छोड़ दी, तब सन्ध्या के एकान्त में मैं अपनी उद्भ्रान्त मनोगति को इस अमर वल्लरी की ओर ही प्रवृत्त करने लगा।
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सूत्रकार कणाद ने आत्मा के द्रव्यत्व का विश्लेषण करते हुए सर्वप्रथम यह कहा कि प्राण, अपान, निमेष, उन्मेष, जीवन, मनोगति, इन्द्रियान्तर विकार, सुख-दु: ख, इच्छा, द्वेष और प्रयत्न नामक लिंगों से आत्मा का अनुमान होता है।