मरणोत्तर जीवन ' नामक आलेख में पिताजी ने ऐसी तीन घटनाओं की विस्तार से चर्चा की है।
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मौत, शोक, कदिश, शिव, यह्र्टज़िट, आत्मा, और मरणोत्तर जीवन से संबंधित यहूदी सीमा पर मुफ्त की जानकारी
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इसीलिए सोलह, संस्कारों का कर दिया विधान है॥ गर्भाधान क्षणों से लेकर मरणोत्तर जीवन पर अंत।
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उसमें क्रिश्चियन्स साइंस रिव्यू के ए. डी. स्टीवर्ट ने कहा कि ईसाई धर्म में मरणोत्तर जीवन को मान्यता नहीं है।
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परोक्ष माने मरणोत्तर जीवन, मौत का जीवन, बुढ़ापे का जीवन, भावी जीवन, जो हमको दिखाई नहीं पड़ता।
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उन्होंने अपनी पुस्तक ' प्रथम स्पर्श ' के ' मरणोत्तर जीवन ' नामक आलेख में यह कथा विस्तार से लिखी है।
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इसी महागं्रथ के बारहवें खण्ड में अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के आदिवासियों के संबंध में यह अभिलेख है कि वे सभी समान रूप से मरणोत्तर जीवन को मानते हैं।
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यह मनः चेतना सहज ही नहीं मरती वरन् एक ओर तो वंशानुक्रम विधि के अनुसार गतिशील रहती है दूसरी ओर मरणोत्तर जीवन के साथ होने वाले परिवर्तन के रूप में उसका अस्तित्व अग्रगामी होता है ।।
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' ' ईसाई धर्म का सबसे प्राचीन संप्रदाय-' ग्नास्टिक संप्रदाय, है जिसके संबंध में प्रसिद्ध है कि वे सभी विद्वान, समझदार और नेक आदमी थे और सभी की मरणोत्तर जीवन में पूर्ण आस्था थी।
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परन्तु खुद तो मानो मरणोत्तर जीवन जी रहे हों वैसी मस्ती में थे ‘ अरे भाई, मैं तो किसी दूसरी बीमारी के लिए अस्पताल में पड़ा था, तब ही मुझ पर हृदय रोग का पहला हमला हुआ।