| 11. | पौराणिक अनुश्रतियों के अनुसार शिव और ब्रह्मा आदि देवगण, मरीच आदि ऋषि और रावण, भस्मासुर आदि ने यहां तप किया था।
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| 12. | पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार शिव और ब्रह्मा आदि देवगण, मरीच आदि ऋषि एवं रावण, भस्मासुर आदि ने यहाँ तप किया था।
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| 13. | कलाकारों ने दिखाया कि मरीच रावण के कहने पर सोने के हिरण का रूप धारण कर राम की कुटिया के आसपास घूमता है।
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| 14. | -1-1. 5 ग्राम त्रिकटु (सौंठ, मरीच एवं पिप्पली) चूर्ण का प्रयोग भी अरुचि एवं अग्निमांद को दूर करता है।
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| 15. | पौराणिक अनुश्रतियों के अनुसार शिव और ब्रह्मा आदि देवगण, मरीच आदि ऋ षि और रावण, भस्मासुर आदि ने यहां तप किया था।
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| 16. | -सौंठ, मरीच एवं पिप्पली का प्रयोग त्रिकटु के रूप में 1/2 चम्मच नित्य गुनगुने पानी से प्रयोग जोड़ों के दर्द में राहत देता है।
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| 17. | मरीच झांपी हो या मणिपुर, दंडकारण्य हो या फिर हरियाणा का भ्रूणहत्या या सम्मान के नाम पर बलिस्थल, सत्ता की संस्कृति बलात्कार की संस्कृति है।
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| 18. | पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार शिव और ब्रह्मा आदि देवगण, मरीच आदि ऋषि एवं लंकापति रावण, भस्मासुर आदि और चक्रवर्ती मांधाता ने यहाँ तप किया था।
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| 19. | एक चौथाई चम्मच त्रिकटु के चूर्ण (सौंठ, मरीच व पीपल का चूर्ण) में एक छोटी चम्मच दालचीनी मिलाकरएक कप पानी में 10 मिनट के लिए भिगो दें।
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| 20. | -मदार के फूल को सुखाकर त्रिकटु (सौंठ, मरीच एवं पिप्पली) और यवक्षार के साथ मिलाकर खरल में अदरख स्वरस के साथ पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें..
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