इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से मसूरिका चेचक जल्द ही ठीक हो जाता है।
12.
मसूरिका रोग में रोगी के शरीर पर कम से कम 2 दिनों में दाने निकलने लगते हैं।
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फलानुमान-साधारणतया मसूरिका घातक नहीं होती, किंतु इसके घातक रूप या जटिलताओं के कारण मृत्यु हो सकती है।
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छोटी चेचक (Chicken pox), मसूरिका (Measles), यक्ष्मा, उपदंश (Syphilis) आदि रोगों में भी ग्रसनीशोथ के लक्षण पाए जाते हैं।
15.
नीम की हरी पत्तियों से मसूरिका (चेचक) में हवा की जाती है और पत्तियों को बिस्तर पर बिछाया जाता है।
16.
जिन बच्चों में मसूरिका (measles) के संक्रमण की आशंका होती है उन्हें गामा ग्लोब्यूलिन की सुई द्वारा, प्रतिरक्षण प्रदान किया जा सकता है।
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चेचक (मसूरिका)-कचनार की छाल के काढ़ा बनाकर उसमें सोने की राख डालकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
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जब किसी व्यक्ति को चेचक का मसूरिका रोग हो जाता है तो उसके शरीर पर मसूर की दाल के बराबर के दाने निकलने लगते हैं।
19.
सन 1832 से, संघीय सरकार ने अमेरिकी मूलनिवासियों के लिये एक लघु मसूरिका टीकाकरण कार्यक्रम स्थापित किया (सन 1832 का द इंडियन वैक्सीनेशन ऐक्ट).
20.
फिरंग (syphilis), सूजाक (gonorrhoea) तथा विसर्प (erysipelas) एवं मसूरिका आदि रोगों का संक्रमण मृत, संक्रांत या वाहक मनुष्य या पशु के प्रत्यक्ष संसर्ग से होता है।