हम इन तमाम मामलों की सीधे-सीधे कोई तुलना नहीं कर रहे लेकिन अपने जीते जी, अपने हाथों, जनता के पैसों से, भूख-बीमारी-कुपोषण से मरते हुए बच्चों की जिंदगी की कीमत पर अगर कोई नेता अपनी कांसे की प्रतिमाएं बनवाकर सजावट में सात सौ करोड़ रूपए खर्च करती है तो हम उसे आत्ममुग्ध, महत्वोन्मादी, तानाशाह और अलोकतांत्रिक ही कहेंगे।