सालाना रपट कुछ इस तरह की, हम रहे हैं ठेल, कुछ पिटाए,कुछ जेल गए, डाग्दर मोहन भी हो गए फ़ेल, लोकपाल एक्स्प्रेस चली तो सरकार हुई डिरेल, पचास परसेंट में भारी छूट, लगी आरक्षण महासेल...
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बस जिगरा बडा करिए और कूद जाइए, इत्ती बडी महासेल का ऑफ़र इन दिनों एकदम खुल्लम खुल्ला, खुला हुआ है, बस लूटना है या लुटना है, या टूटना है, या चांदी कूटना है, फ़ैसला आपके ऊपर है ।