बताते चलें, कि इस देश के वासिओं को नारी का मातृरूप ही सबसे अधिक भाता है (!) ।
12.
मातृरूप जहाँ विशेष रूप से अभिव्यक्त हुवा है वहां बुद्धि रूप में उसकी प्रार्थना कर उसके विदुषी रूप की अभ्यर्थना की गयी है।
13.
इसीलिए भारतीय संस्कृति में ईश्वर के रूप की प्रथम कल्पना मातृरूप में की गई है जिसमें कोई दूषित भावना और छल-कपट नहीं रहता।
14.
“ भक्तों के आग्रह पर फिर बोले ” परमब्रह्म निराकार है, ब्रह्म की आत्मा है आदिशक्ति सर्वभूता मातृरूप इसलिये शक्ति का नारी रूप है।
15.
अपनी मातृभूमि-भारत देश की विशेषता है कि यहां का हर नागरिक अपनी भूमि को मातृरूप मैं देखता है और स्वयं को पुत्र रूप मानता है.
16.
नारी परिवार की मूल मजबूत दीवार है वह अपने आचरण का प्रभाव पत्नि रूप से पति पर मातृरूप से भावी सन्तान पर डाल सकती है ।
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अपनी मातृभूमि-भारत देश की विशेषता है कि यहां का हर नागरिक अपनी भूमि को मातृरूप मैं देखता है और स्वयं को पुत्र रूप मानता है.
18.
उसका एक पूरा सूक्त औषधि की प्रशंसा में है जिसमें औषधि को मातृरूप कहा गया है और चिकित्सक को गौ, अश्व,वस्त्र आदि देने की बात कही गयी है।
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अपनी मातृभूमि-भारत देश की विशेषता है कि यहां का हर नागरिक अपनी भूमि को मातृरूप मैं देखता है और स्वयं को पुत्र रूप मानता है.
20.
मातृरूप में लक्ष्मी का प्राचीनतम शिल्प टेराकोटा में है. यह तीसरा सदी ई.प ू. सतवाहन काल का यह महाराष्ट्र के तेर नाम स्थान में खुदाई में मिला था और वर्तमान में यह लंदन स्थिति ब्रिटिश म्यूजियम में है.