प्रमुख बदलाव मातृवंशी परिवारों को पितृवंशी संपत्ति वितरण प्रणाली की ओर धकेलना और परंपरागत सामूहिक पारिवारिक संपत्ति को निजी संपत्ति में बदल दिया जाना था।
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इनमें सबसे अहम बदलाव मातृवंशी परिवारों को पितृवंशी संपत्ति वितरण प्रणाली की ओर धकेलना और परंपरागत सामूहिक पारिवारिक संपत्ति को निजी संपत्ति में बदल दिया जाना था।
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मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में सर्वप्रथम मातृवंशी नारी या माइटोकांड्रियल ईव उस अज्ञात नारी को कहते हैं जो आज के विश्व में मौजूद सारे नारियों ओर पुरुषों की
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मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में सर्वप्रथम मातृवंशी नारी या माइटोकांड्रियल ईव उस अज्ञात नारी को कहते हैं जो आज के विश्व में मौजूद सारे नारियों ओर पुरुषों की निकटतम सांझी पूर्वजा थी।
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मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में सर्वप्रथम मातृवंशी नारी या माइटोकांड्रियल ईव उस अज्ञात नारी को कहते हैं जो आज के विश्व में मौजूद सारे नारियों ओर पुरुषों की निकटतम सांझी पूर्वजा थी।
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यह मातृवंश ज़्यादातर पूर्वी एशिया में ही मिलता है, जहां जापान के आइनू आदिवासियों में से २०% और साइबेरिया के पूर्वी तट से कुछ दूरी पर स्थित रूस के शाखालिन द्वीप के निव्ख़ आदिवासियों के ६६% लोग इसके मातृवंशी होते हैं।
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अंग्रेज़ी में “सर्वप्रथम मातृवंशी नारी” को “माइटोकांड्रियल ईव” (mitochondrial Eve), “निकटतम सांझे पूर्वज” को “मोस्ट रीसॅन्ट कॉमन ऐन्सिस्टर” (most recent common ancestor), “वंश समूह” को “हैपलोग्रुप” (haplogroup), “पितृवंश समूह” को “वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप” (Y-chromosome haplogroup) और “मातृवंश समूह” को “एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप” (mtDNA haplogroup) कहते हैं।
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[1] यह ध्यान योग्य बात है के अनुसंधान से पता लगा है के आधुनिक मनुष्यों की सर्वप्रथम मातृवंशी नारी (जो विश्व के सारे स्त्रियों ओर पुरुषों की निकटतम सांझी पूर्वज थी) ने इस पुरुष से लगभग ५०,००० से ८०,००० साल पहले अपना जीवनकाल व्यतीत किया।