| 11. | धर्म वह मानवीय आचरण है जो अलौकिक कल्पना पर आधारित है और जिनका आचरण श्रेयस्कर माना जाता है।
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| 12. | धर्म वह मानवीय आचरण है जो अलौकिक कल्पना पर आधारित है और जिनका आचरण श्रेयस्कर माना जाता है।
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| 13. | मानवीय आचरण में सुधार लाने के बजाय वे असमानता, सुस्ती तथा विलासिता को बढ़ावा देता है.
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| 14. | सम्भवत: मानवीय आचरण के सर्व हितकारी स्वरूप की अभिव्यंजना जो वेदों में है वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं है।
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| 15. | इसका ज्ञान हमें जीवन का अध्ययन, मानवीय आचरण का अध्ययन और अस्तित्व के अध्ययन से ही पूरा होगा.
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| 16. | नैतिकता का उच्चतम आयाम, येन-केन-प्रकारेण जिसका आशय मानवीय आचरण की सर्वोच्च गरिमा से है.
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| 17. | इसका ज्ञान हमें जीवन का अध्ययन, मानवीय आचरण का अध्ययन और अस्तित्व के अध्ययन से ही पूरा होगा.
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| 18. | कुछ न कुछ प्रकृति में होने वाले परिवर्तन और मानवीय आचरण / स्वास्थ्य में परिवर्तन को भी आधार मानकर मनाया जाता होगा.
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| 19. | हो भी सकता है मगर मुझे लगा कि इसका एक छोर तो मानवीय आचरण के किसी पहलू से जुड़ा होना चाहिए।
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| 20. | यह नैतिकता ही है जो मानवीय आचरण के निरंतर नए मानक गढ़कर, धर्म की राह को आसान एवं अनुकरणीय बनाती है.
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