सृष्टि के प्रारम्भ में जब ब्रह्माजी द्वारा रची गयी मानसिक सृष्टि विस्तार न पा सकी, तब ब्रह्माजी को बहुत दुःख हुआ।
12.
शिवे, तब मैंने देवता आदि समस्त प्रजाओं की मानसिक सृष्टि की, परन्तु बार-बार रचना करने पर भी उनकी वृद्धि नहीं हो रही है।
13.
ब्रह्मा जी ने अपने कार्य का आरम्भ मानसिक सृष्टि से किया, परन्तु जब उनकी मानसिक सृष्टि विस्तार नहीं पा सकी तो वे अत्यन्त दु: खी हो उठे।
14.
ब्रह्मा जी ने अपने कार्य का आरम्भ मानसिक सृष्टि से किया, परन्तु जब उनकी मानसिक सृष्टि विस्तार नहीं पा सकी तो वे अत्यन्त दु: खी हो उठे।
15.
जब यह सारा भूमण्डल जलमग्न था, भगवान विष्णु शेषशैय्या पर आसीन थे, उनकी नाभिकमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई और ब्रह्माजी से मानसिक सृष्टि की रचना हुई।
16.
इस मानसिक सृष्टि के बाद उन्हीं उत्पन्न स्त्री-पुरुष व्यक् तियों द्वारा मैथुनी सृष्टि हुई और यद्यपि मानसिक सृष्टि में भी वर्णों का विभाग था, जैसा कि अभी कह चुके हैं, अत: उसके अनुसार भी जातियों का नियम हो सकता है, या था।
17.
इस मानसिक सृष्टि के बाद उन्हीं उत्पन्न स्त्री-पुरुष व्यक् तियों द्वारा मैथुनी सृष्टि हुई और यद्यपि मानसिक सृष्टि में भी वर्णों का विभाग था, जैसा कि अभी कह चुके हैं, अत: उसके अनुसार भी जातियों का नियम हो सकता है, या था।