दूसरा पक्ष यह है कि किसी कार्यविशेष को दृष्टि में रखकर मापविज्ञान से ऐसे तरीके प्राप्त होते हैं जिनसे तुलनाएँ काफी उच्च स्तर की शुद्धता तक की जा सकें।
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दूसरा पक्ष यह है कि किसी कार्यविशेष को दृष्टि में रखकर मापविज्ञान से ऐसे तरीके प्राप्त होते हैं जिनसे तुलनाएँ काफी उच्च स्तर की शुद्धता तक की जा सकें।
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आज सूक्ष्मदर्शी का उपयोग कायचिकित्सा (Medicine), जीवविज्ञान (Biology), शैलविज्ञान (Perology), मापविज्ञान (Metrology), क्रिस्टलविज्ञान (Crystallography) एवं धातुओं और प्लास्टिक की तलाकृति के अध्ययन में व्यापक रूप से ही हो रहा है।
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मापविज्ञान में मूल रूप से हम तीन रशियों, अर्थात् द्रव्यमान, लंबाई एवं समय के बारे में चर्चा करते हैं और इन्हीं तीन राशियों के ज्ञान से हम अन्य राशियों, जैसे घनत्व, आयतन, बल तथा शक्ति आदि को मापते हैं।
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मापविज्ञान में मूल रूप से हम तीन रशियों, अर्थात् द्रव्यमान, लंबाई एवं समय के बारे में चर्चा करते हैं और इन्हीं तीन राशियों के ज्ञान से हम अन्य राशियों, जैसे घनत्व, आयतन, बल तथा शक्ति आदि को मापते हैं।
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मापविज्ञान में मूल रूप से हम तीन रशियों, अर्थात् द्रव्यमान, लंबाई एवं समय के बारे में चर्चा करते हैं और इन्हीं तीन राशियों के ज्ञान से हम अन्य राशियों, जैसे घनत्व, आयतन, बल तथा शक्ति आदि को मापते हैं।
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श्री वासनीकर ने बताया कि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के अंतर्गत विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (पैकेज बंद) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (मॉडल एप्रूवल) नियम 2011, विधिक माप विज्ञान (राष्ट्रीय मानक) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (संख्यान) नियम 2011 तथा विधिक मापविज्ञनन (प्रशिक्षण संस्थान) नियम 2011 तथा छत्तीसगढ़ विधिक माप विज्ञान (प्रर्वतन) नियम 2011 प्रभावशील है।
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श्री वासनीकर ने बताया कि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के अंतर्गत विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (पैकेज बंद) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (मॉडल एप्रूवल) नियम 2011, विधिक माप विज्ञान (राष्ट्रीय मानक) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (संख्यान) नियम 2011 तथा विधिक मापविज्ञनन (प्रशिक्षण संस्थान) नियम 2011 तथा छत्तीसगढ़ विधिक माप विज्ञान (प्रर्वतन) नियम 2011 प्रभावशील है।
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श्री वासनीकर ने बताया कि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के अंतर्गत विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (पैकेज बंद) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (मॉडल एप्रूवल) नियम 2011, विधिक माप विज्ञान (राष्ट्रीय मानक) नियम 2011, विधिक मापविज्ञान (संख्यान) नियम 2011 तथा विधिक मापविज्ञनन (प्रशिक्षण संस्थान) नियम 2011 तथा छत्तीसगढ़ विधिक माप विज्ञान (प्रर्वतन) नियम 2011 प्रभावशील है।
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निर्गुट आंदोलन: मानकीकरण, मापविज्ञान और गुणता नियंत्रण में सहयोगसन १९८१ के फरवरी माह में नई दिल्ली में निर्गुट आंदोलन (नाम) के विदेशमंत्रियों का जो सम्मेलन हुआ था उसमें यह निर्णय लिया गया था कि एक कार्यकारीदल निर्गुट आंदोलन वाले देशों और अन्य विकासशील देशों के लिए मानकीकरण, मापविज्ञान और गुणता नियंत्रण के क्षेत्रों में सहयोग के लिए गठित किया जाए.