यह स्त्री मेरे बर्तन वस्त्र आदि धो लेगी, गृह मार्जनी कर लेगी और यह लड़का पूजा के पात्र धोएगा, फूल तोड़ ले आएगा, यज्ञ की लकड़ियाँ एवं उपले बटोरेगा।
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सबको ज्ञात है कि भोजन सामग्री या रसोई बनाने के लिए गृहस्थाश्रमियों को पांच प्रकार की क्रियाएं करनी पड़ती हैं, कंडणी (पीसना), पेषणी (दलना), उदकुंभी (बर्तन मलना), मार्जनी (मांजना और धोना) और चूली (चूल्हा सुलगाना).
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अंग्रेज़ी सभ्यता रीति को दूर भगाने वाली जन-जन को झकझोर ज़ोर से रोज़ जगाने वाली स्वयं बनी मार्जनी स्वरूपा “सम्पादक की वाणी” भारत और भारती की जाग्रत वाणी कल्याणी अपनी श्वेत प्रभा से भाषा से नवराष्ट्र विधात्री सम्पादन की शुचि रुचि से जन जन की प्राण प्रदात्री मनुज मनुज को यह प्रदीप्त देवत्व प्रदान करेगी जीवन में यज्ञीय-प्रतिष्टा प्रद सम्मान वरेगी सम्पादक की वाणि!
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अतः वे भिक्षा-उपार्जन के पूर्ण अधिकारी थे ।दूसरा दृष्टिकोणपंचसूना-(पाँच पाप और उनका प्रायश्चित)-सब को यह ज्ञात है कि भोजन सामग्री या रसोई बनाने के लिये गृहस्थाश्रमियों को पाँच प्रकार की क्रयाएँ करनी पड़ती है-कंडणी (पीसना) पेषणी (दलना) उदकुंभी (बर्तन मलना) मार्जनी (माँजना और धोना) चूली (चूल्हा सुलगाना)इन क्रियाओं के परिणामस्वरुप अनेक कीटाणुओं और जीवों का नाश होता है और इस प्रकार गृहस्थाश्रमियों को पाप लगता है ।