वह उनकी भर्त्सनाकरती है एक राजा होकर अपने कर्तव्य को उपेक्षित करने के लिये तथा यह मिथ्या विश्वास पालने के लिये कि शांति को ग्रहण करना ही उचित धर्म है?
12.
अपने समाज में गिरी हुई अवस्था से उन्नति करने का साहस उत्पन्न करना ; परंतु जब अपनी श्रेष्ठता के विश्वास के कारण हम ने संसार के दूसरे देशों में हुई प्रगति से आंखें मूंद लीं, तो यह मिथ्या विश्वास हमें उन्नति से रोकने लगा।
13.
अंधविश्वासों पर प्रहार करते हुए वह भारतीय इतिहास के जाने-पहचाने घटनाक्रमों से उदाहरण भी देते हैं-“ कौटिल्य के अर्थशास्त्र को देखने से साफ पता चलता है कि हजारों प्रकार के मिथ्या विश्वास, जिन्हें इस बीसवीं शताब्दी में ब्रह्मविद्या, योग और महात्माओं का चमत्कार कहकर सुशिक्षित लोग प्रचारित करना चाहते हैं, उन्हें मौर्य-साम्राज्य का यह महान् राजनीतिज्ञ झूठा समझता है।
14.
नीच घृणाएँ भी हैं. नीच घृणाओं कीपरिभाषा देवात्मा इस तरह देते हैं--"जब कोई मनुष्य किसी मनुष्य वा अन्यजीवित या अजीवित अस्तित्व के प्रति अपने भीतर कोई ऐसा घृणा-भाव अनुभवकरता है, कि जिससे परिचालित होकर वह उसके या उसके किसी सम्बन्धी के प्रतिकिसी अन्यायमूलक वा मिथ्या विश्वास वा चिंता के पैषण वा किसी मिथ्या वाअन्याय-मूलक कर्म करने का इच्छुक बन जाता है, और इस प्रकार की बुरी चिंतावा ऐसे बुरे कर्म के करने अथवा कराने में तृप्ति ढूंढता और पाता है; तबउसके ऐसे सब प्रकार के घृणाभाव नीच घृणाएँ कहलाती हैं.