तबला बाजे, सारंगी बाजे, और बाजे मिरदंग…सखी री और बाजे मिरदंग कान्हा जी की बंसी बाजे, राधा जी के संग… रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
12.
अंग लचक मिरदंग बज्यो है वाह-वाह को सोर मच्यो है रच-रच कच-कच भच-भच भारी-भारी वा पे आलू-चना प्यारी-प्यारी ओ जी, दृस्य अनोखा देख-देख भई कानी आंख रतनारी ओ हां जी हिंदी की सवारी मैं वारी रे वारी...
13.
आग है हर सू आग हवामत गा दीपक राग हवामैं मिरदंग बजाता हूंतू गा कोई फ़ाग हवाबन्द है इस बोतल में ज़िनखोल न इस का काग हवाअब कुछ ऎसा शोर मचादुनिया जाए जाग हवातेरी अपनी ढपली हैतेरा अपना राग हवादेखें किसकी आए खबरउड तो गया है काग हवाकैसी “यकीन” हवा ये चलीहो गए...
14.
मणिपुर भारत की मणि कहलाए, मुंदरी सा मणिपुर भाए तैंतीस कबीले इसके, मणियों से चमकत जाए यह अर्जुन की ससुराला, यहाँ नाचत हर एक बाला भाषा भी विष्णुप्रिया है, बाजत मिरदंग निराला महारास हैं पाँच तरह की, तांडव संग पंग-परेंगी बाँशी पर है सरगम... भारतवासी हम...
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आग है हर सू आग हवामत गा दीपक राग हवामैं मिरदंग बजाता हूंतू गा कोई फ़ाग हवाबन्द है इस बोतल में ज़िनखोल न इस का काग हवाअब कुछ ऎसा शोर मचादुनिया जाए जाग हवातेरी अपनी ढपली हैतेरा अपना राग हवादेखें किसकी आए खबरउड तो गया है काग हवाकैसी “यकीन” हवा ये चलीहो गए
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मैं हूँ नींद में तू है खाब में, मैं हूँ गीत में तू है राग में चलें उम्र भर यूँ ही हर कदम, जैसे थाप सह मिरदंग हो ये सवाल है कश्मीर का, और हिंद के अभिमान का मुंह तोड़ कर दे जवाब हम, कितना बड़ा ही भुजंग हो