मिश्रित माध्यम में सुरेन्द्रपाल जोशी की इस रचनाशील पहल से ही सम्भव हो सका है कि हम यहाँ लोक की और नागर संचेतना की याद एक साथ कर लेते हैं।
12.
आत्मशैली और पात्रों के कथोपकथन के मिश्रित माध्यम से कहानी को विस्तार देते हुए गीता नाम की एक पतिविमुखा नारी चरित्र को लेखिका ने अपनी मामी के रूप में पेश कर उसकी व्यथा को जिस रुप में व्यक्त किया है उसको पढ़ कर हर संवेदनशील पाठक को अनुराधाजी की सृजनशीलता का कायल होना पड़ेगा।
13.
आत्मशैली और पात्रों के कथोपकथन के मिश्रित माध्यम से कहानी को विस्तार देते हुए गीता नाम की एक पतिविमुखा नारी चरित्र को लेखिका ने अपनी मामी के रूप में पेश कर उसकी व्यथा को जिस रुप में व्यक्त किया है उसको पढ़ कर हर संवेदनशील पाठक को अनुराधाजी की सृजनशीलता का कायल होना पड़ेगा।