बुनकर जुमे को मुर्री बंद के ऐलान पर अमल करते हुए बुनकरों ने अपना कारोबार बंद करके पुरानापुल ईदगाह व चौकाघाट वरुणा के किनारे जुमा की नमाज अदा की।
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लगभग 40 प्रकार के टांके और जालियां होते हैं जैसे-मुर्री, फनदा, कांटा, तेपची, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, राहत तथा बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली, बखिया आदि।
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लगभग 40 प्रकार के टांके और जालियां होते हैं जैसे-मुर्री, फनदा, कांटा, तेपची, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, राहत तथा बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली, बखिया आदि।
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भगत सिंह के जो सुघड़ और चुस्त चित्र हैट पहने और मूंछ मुर्री दिए आज जगह-जगह दिखाई देते हैं, उनसे भगत सिंह के उस समय के रूप और व्यवहार की कल्पना नहीं की जा सकती।
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लगभग 40 प्रकार के टांके और जालियां होते हैं जैसे-मुर्री, फनदा, कांटा, तेपची, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, राहत तथा बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली, बखिया आदि।
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ये नन्हा बूटेदार कत्थई या काले रंग का पहाड़ी जानवर अपने प्रतिद्वन्द्वी को देख पर फुलाते और बड़ी शान से पैंतरे बदलते हुए अचानक उछलकर वार करता है, कभी खींच मारता है, कभी मुर्री लगाता है, कभी फाड़ता है तो कभी दुश्मन की आंखों में चोच मारता है या उसकी चोंच तोड़ता है।
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दूसरी बार धमाका तब हुआ जब इस शहर में मेरे जन्म की चौथी सालगिरह तबाह बुनकरों के असफल मुर्री बंदी आंदोलन के साथ बीत चुकी थी और मल्लाहों ने अपनी बरसाती गंगा की क्रूरता के ठीक बाद सदियों पुरानी नाव से गुजारिश की थी कि हे तरनी, तू मुझे स्वर्ग नहीं रोटी का पता बता दे.