कफ प्रकोप व खांसी: 5 ग्राम मुलहठी चूर्ण 2 कप पानी में डालकर इतना उबालें कि पानी आधा कप बचे।
12.
निर्धारण के अनुसार उपयोग-रक्त वमन में दूध के साथ मुलहठी चूर्ण 1 से 4 माशे की मात्रा में अथवा मधु के साथ ।
13.
बल-वीर्यवर्धक प्रयोगः मुलहठी चूर्ण व अश्वगंधा चूर्ण 5-5 ग्राम लेकर उसमें थोड़ा सा घी मिला के चाटें और ऊपर से 1 गिलास मिश्री मिला हुआ दूध पी लें।
14.
प्रवाल भस्म, अभ्रक भस्म, 1 / 2 ग्राम एक में मिलाकर मुलहठी चूर्ण व शहद के साथ देने से कफ, पित्त और दाह का नाश होता है।
15.
यदि गर्मी के कारण मासिकस्राव में खून का अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक बना लें।
16.
25 ग्राम सरपुंखा, 25 ग्राम नीम की ताजी पत्तियाँ, 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण, 10 ग्राम मुलहठी चूर्ण चारों को एक लीटर पानी में डालकर आधा घंटा उबालें फिर ठंडा कर छान लें, पानी में दो चम्मच शहद घोल लें।
17.
आधुनिक भेषज विशेषज्ञों ने ' डबल ब्लाइण्ड ट्रायल्स ' के आधार पर यह सिद्ध कर दिया है कि प्राकृतिक रूप में मुलहठी चूर्ण गैस्टि्रक व ड्यूओडनल दोनों प्रकार के अल्सरों के भरने की गति को बढ़ा देता है ।
18.
इण्डियन मेडीकल गजट (193.9, 1979) के अनुसार पूर्ण परीक्षित रोगियों को जब मुलहठी चूर्ण दिया गया तो ड्यूओडनल अल्सर के अपच हाइपर एसिडिटी आदि लक्षणों में भारी लाभ हुआ तथा एक्सरे वोरियम परीक्षा द्वारा बाद में पाया गया कि घाव भरने में इतनी तेजी से काम करने वाली कोई और औषधि नहीं ।