कोई मुसीबत का मारा चलकरदरवाजे पर आ गया तो शत्रु-मित्र और जाति-~ धर्मं का सवाल नहीं, उसकी मदद करनावे अपना परम कर्त्तव्य समझते थे.
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पल्लू से आँसू पौंछते हुए पास ही खडी बौहरी राजबाई ने भी सहारा लगाया-” दे दो बिचारे को मुसीबत का मारा है ।
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कुछ लोग खुद को मुसीबत का मारा बताकर लोगों को ठगते हैं उनकी शिनाख्त तो ज़रूरी है लेकिन सच्चे ज़रूरतमंदों को पहचानना भी ज़रूरी है।
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प्रच्छन्न संदेश यह भी है कि अपराधी अगर मुसीबत का मारा हुआ है, तो वह स्वयं भी दुर्भाव और कुकर्म के नरक से जल्दी बाहर आना चाहता है।
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आम तौर पर मैं पैशेवर भिखारियों को कुछ नहीं देना चाहता पर कैसे मालूम चले कि कौन पैशेवर है और कौन मुसीबत का मारा, जिसे सचमुच जरुरत है?
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स्थितियां कुछ ऐसे बन गर्इं की गांव में हर मुसीबत का मारा रुपए के लिए अपनी जमीन की पुल्ली, खसरा लेकर मास्टर साहब की शरण में जाने लगा।
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हदीस शरीफ़ में है कि जो कोई मुसीबत का मारा अल्लाह कि बारगाह में इन शब्दों से दुआ करे, तो अल्लाह तआला उसकी दुआ क़ुबूल फ़रमाता है.
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आम तौर पर मैं पैशेवर भिखारियों को कुछ नहीं देना चाहता पर कैसे मालूम चले कि कौन पैशेवर है और कौन मुसीबत का मारा, जिसे सचमुच जरुरत है?
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नन्दलाल भारती ०७-०२-२०१० आदमी के काम आये आदमी के काम आये मुसीबत का मारा आदमी बेचारा भूखा प्यासा ललचाई से ताके, करे आत्म मंथन है आदमी मुसीबत के दिन हो आदमी के तो कन्धा लगा दे ।
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बिस्तरा बँधवा दिया सो अलग!-रुपये तो पास में कुछ होने ही चाहियें, ' नई जगह में क्या करेगा बेचारा, मुसीबत का मारा. ' जिठानी ने भी कहा, ' अऊर का! सब वापस कर देगा. बहिनी का कौन रखता है! फिर उसकी तो नौकरी लग गई है.