| 11. | कोपेवा औषधि मुख्य रूप से स्त्रियों के मूत्रकृच्छ रोग में अधिक लाभकारी होती है।
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| 12. | मूत्रकृच्छ रोग में मूत्रनली से लेकर गुर्दो तक जलन व दर्द होता रहता है।
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| 13. | गुड़ डाला हुआ दूध मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) को खत्म करता है।
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| 14. | इससे पति की पूयमेह, शुक्रमेह, मूत्रकृच्छ और धातु की दुर्बलता दूर होती है।
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| 15. | बारंबारता के साथ अतिपात (urgency), हिचकिचाहट (hesitancy), बहुमूत्रकता (polyuria) तथा मूत्रकृच्छ (dysuria) भी कहते हैं।
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| 16. | -इसके बीज स्निग्ध व पिच्छिल होने से मूत्रकृच्छ, पूयमेह तथा दुर्बलता में उपयोगी होते हैं।
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| 17. | गर्म पानी से सेंकना और दूध में पानी मिलाकर देना मूत्रकृच्छ रोग में लाभदायक होता है।
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| 18. | भिन्डी के काढ़ा पीने से सुजाक, मूत्रकृच्छ, और ल्यूकोरिया में फायदा होता हैं.
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| 19. | -इसके बीज स्निग्ध व पिच्छिल होने से मूत्रकृच्छ, पूयमेह तथा दुर्बलता में उपयोगी होते हैं।
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| 20. | दही में शक्कर मिलाकर खाने से भी मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) दूर हो जाता है।
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