आप सरीखे परिपक्व विचारक तथा अनुभवी और यशस्वी सम्पादक की रचना में दोष निकालना तथा उसका प्रतिवाद करना, जिसे प्रत्येक भारतीय सम्मान की दृष्टि से देखता है, हमारे लिए एक बड़ी धृष्टता होगी।
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आप सरीखे परिपक्व विचारक तथा अनुभवी और यशस्वी सम्पादक की रचना में दोष निकालना तथा उसका प्रतिवाद करना, जिसे प्रत्एक भारतीय सम्मान की दृष्टि से देखता है, हमारे लिए एक बड़ी धृष्टता होगी।
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आप सरीखे परिपक्व विचारक तथा अनुभवी और यशस्वी संपादक की रचना में दोष निकालना तथा उसका प्रतिवाद करना, जिसे प्रत्येक भारतीय सम्मान की दृष्टि से देखता है, उत्तम तो नहीं, किंतु एक प्रश्न का उत्तर देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं, ताकि इस नारे से हमारा क्या अभिप्राय है, स्पष्ट हो सके.
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ने कहा: इस दुनिया की सभी कौमों में अगर एकता चाहते हो तो सभी धर्म के संस्थापकों का आदर करो और दूसरों के धर्म में दोष निकालना या उसको बदनाम करने से बचो, अगर ऐसा नहीं करोगे तो इस समाज में नफरत और आपस में दुश्मनी फैलेगी जो सभी कौम को नुक़सान देगी.