ग्रह की स्थिति बतलाने के लिये मेषादि से लेकर ग्रह के राशि, अंग, कला, तथा विकला बता दिए जाते हैं।
12.
मेषादि द्वादश राशियों के लग्न में निर्मित होने वाले कालसर्प योगों का विभिन्न रूपों में अलग अलग प्रभाव होता हैं।
13.
यहाँ यह भी स्मरण रखना चाहिए कि पंचांग के अश्विनी आदि नक्षत्र और मेषादि राशियाँ तो नाक्षत्र (निरयण) ही रहेंगी।
14.
नक्षत्र: ज्योतिष शास्त्र में समस्त मेषादि राशि चक्र अर्थात भचक्र (3600) को 27 भागों में बांटा गया है।
15.
वह सायन मेषादि विन्दु से जितनी राशि अंश कला विकला पर होता है उसे ही सायन लग्न स्पष्ट कहते हैं ।
16.
ग्रह की स्थिति बतलाने के लिये मेषादि से लेकर ग्रह के राशि, अंग, कला, तथा विकला बता दिए जाते हैं।
17.
संक्रंाति का पूरा वक्त कन्या राशि पर चन्द्र संचरम करते रहे होंगे, अत: मेषादि राशियों का शुभाशुभ प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा।
18.
पंचांग के अश्विनी आदि नक्षत्र और मेषादि राशियाँ क्रांतिवृत्त के समान विभाग हैं, मगर आकाश के अश्विनी आदि और मेषादि तारापुंज आकाश में समान विस्तारवाले नहीं है।
19.
पंचांग के अश्विनी आदि नक्षत्र और मेषादि राशियाँ क्रांतिवृत्त के समान विभाग हैं, मगर आकाश के अश्विनी आदि और मेषादि तारापुंज आकाश में समान विस्तारवाले नहीं है।
20.
यदि युग या कल्प के प्रारंभ में ग्रह मेषादि में हों तो बीच के दिन (अहर्गण) ज्ञात होने से मध्यम ग्रह को त्रैराशिक से निकाला जा सकता है।