मेलोलैक्टिक किण्वन उस वाइन के स्वाद को बेहतर बना सकता है जिसमें मैलिक अम्ल का स्तर अधिक हो क्योंकि मैलिक अम्ल की अधिक सांद्रता आम तौर पर अरुचिकर और तीखे स्वाद के एहसास की वजह बनती है, जबकि लैक्टिक अम्ल अधिक हल्का और कम तीखा माना जाता है.
12.
मेलोलैक्टिक किण्वन उस वाइन के स्वाद को बेहतर बना सकता है जिसमें मैलिक अम्ल का स्तर अधिक हो क्योंकि मैलिक अम्ल की अधिक सांद्रता आम तौर पर अरुचिकर और तीखे स्वाद के एहसास की वजह बनती है, जबकि लैक्टिक अम्ल अधिक हल्का और कम तीखा माना जाता है.
13.
मेलोलैक्टिक किण्वन उस वाइन के स्वाद को बेहतर बना सकता है जिसमें मैलिक अम्ल का स्तर अधिक हो क्योंकि मैलिक अम्ल की अधिक सांद्रता आम तौर पर अरुचिकर और तीखे स्वाद के एहसास की वजह बनती है, जबकि लैक्टिक अम्ल अधिक हल्का और कम तीखा माना जाता है.
14.
मेलोलैक्टिक किण्वन उस वाइन के स्वाद को बेहतर बना सकता है जिसमें मैलिक अम्ल का स्तर अधिक हो क्योंकि मैलिक अम्ल की अधिक सांद्रता आम तौर पर अरुचिकर और तीखे स्वाद के एहसास की वजह बनती है, जबकि लैक्टिक अम्ल अधिक हल्का और कम तीखा माना जाता है.