बच्चों के बिस्तर बनाने और पेहेले दिन के मैले कपडे उठाने के लिए जब वो बच्चों के कमरेमे गयी तो देखा, बेटे की टाई बांधना भूल गयी थी।
12.
मैले कपडे पहननेवाला, मैले दाँतवाला, भुक्खड, नीरस बातें करनेवाला और सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय तक सोने-वाला यदि ईश्वर ही हो तो उसे भी लक्ष्मी त्याग देती हैं ॥ ४ ॥
13.
बाथरूम की खूंटी पर स्त्री के मैले कपडे टंगे थे-प्लास्टिक की एक चौडी बाल्टी में अंडरवियर और ब्रेसियर साबुन में डूबे थेखिडक़ी खुली थी और बाग का पिछवाडा धूप में चमक रहा था।
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बाथरूम की खूंटी पर स्त्री के मैले कपडे टंगे थे-प्लास्टिक की एक चौडी बाल्टी में अंडरवियर और ब्रेसियर साबुन में डूबे थेखिडक़ी खुली थी और बाग का पिछवाडा धूप में चमक रहा था ।
15.
वह तुमको हिंदी मिसकीन कहते हैं, तेल की दौलत के नशे में बह आज से सौ साल पहले की अपनी औकात भूल गए, जब हिंदी हाजियों के मैले कपडे धोया करते थे और हमारे पाखाने साफ़ किया करते थे.
16.
(५) हीरो के साथ घटते इन दृश्यों को एक अनजान भूतिया ही दिखने वाला रहस्मयी व्यक्ति जानता है | वही होता है तो इस बंगले का रहस्य जनता है (आपने कभी कभी इसे लालटेन लिए, दाढ़ी बढ़ाये, मैले कपडे पहने, अजीब तरीके से बोलते.
17.
“ मुहम्मद मैले कपडे लादे रहते ” इस ज़रा सी बात पर पाकिस्तान न्यायलय ने एक ईसाई बन्दे को तौहीन ए रिसालत के जुर्म में सजाए मौत दे दिया था, आज पाक अद्लिया किं कर्तव्य विमूढ़ क्यूँ? पाक इसलाम के तलिबों से लड़ने के साथ साथ कुफ्र से भी (भारत) लडाई पर आमादा है.
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:) धोबी के साथ कुत्ते के अतिरिक्त एक और पशु जुड़ा रहता है, और वो है गधा, जो बेचारा घर से घाट तक मैले कपडे, और घाट से घर तक धुले कपडे चुपचाप ढोता है (अफसर के पीछे फाइलें ढोते बाबू समान),,,: (न कुत्ते का भोंकना न गदहे का रेंकना किसी अन्य को सुहाता...
19.
उनको ख़त्म करके पाकिस्तान इस्लाम को क़त्ल कर रहा है, कोई मुल्ला उसे फतवा क्यूं नहीं दे रहा? “मुहम्मद मैले कपडे लादे रहते” इस ज़रा सी बात पर पाकिस्तान न्यायलय ने एक ईसाई बन्दे को तौहीन ए रिसालत के जुर्म में सजाए मौत दे दिया था, आज पाक अद्लिया किं कर्तव्य विमूढ़ क्यूँ? पाक इसलाम के तलिबों से लड़ने के साथ साथ कुफ्र से भी (भारत) लडाई पर आमादा है.
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पर जब आता है जिन्दगी की गाडी आगे बढाने का सवाल चौका, बरतन और कपडे धोने के बिना नहीं चल सकता घर में तब मचता बवाल पहले जिन हाथों में थमाते लवलेटर बाद में घर लाकर थमाते मैले कपडे और जहाँ खाते वहीं छोड़ जाते झूठे बरतन घर भला कैसे हो सकता है थियेटर जिन हाथों में वेलेंटाइन डे पर गुलाब सौंपकर करते हैं इजहार बाद में कराते घर में बेगार फिर तो भूल जाते सब प्रेम