वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ज्वालामुखी ' टैमू मैसिफ ' का शीर्ष या टॉप समुद्र की ऊपरी सतह से करीब 6500 फुट नीचे है।
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यहाँ तक की एवेरेस्ट तथा विन्सन मैसिफ (अन्टार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी) के अभियान को अब एक छुट्टी के पैकेज के रूप में बेचा जाता है.
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जर्नल नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जापान के पूर्वी तट से करीब 1609 किलोमीटर दूर मौजूद इस सबसे बड़े ज्वालामुखी का नाम ' टैमू मैसिफ ' रखा गया है।
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ह्युस्टन यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ अर्थ एंड एटमॉस्फियरिक साइंसेज के प्रोफेसर विलियम सागर के मुताबिक ' टैमू मैसिफ ' को बनाने वाले बासाल्ट की भारी-भरकम मात्रा को देखने से पता चलता है कि ये केंद्र में मौजूद एक ही रास्ते से बाहर आए हैं।
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अब तक 5179 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हवाई के सक्रिय ज्वालामुखी ' मौना लोआ ' को पृथ्वी का सबसे विशाल ज्वालामुखी समझा जाता था, लेकिन अगर आकार के मामले में इसकी तुलना ' टैमू मैसिफ ' से की जाए, तो इसके सामने ' मौना लोआ ' महज 2 फीसदी ही है।
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2009 में ' शैट्सकाई राइज ' पर्वतमाला के अध्ययन के लिए गए एक्सपीडीशन-324 के ओशन ड्रिलिंग प्रोग्राम के सदस्यों ने पता लगाया है कि ज्वालामुखी ' टैमू मैसिफ ' की भौगोलिक रचना कुछ इस प्रकार है कि इसका लावा धरती पर मौजूद किसी दूसरे ज्वालामुखी की तुलना में बहुत ज्यादा दूर तक जाता है।