टाइफस ज्वर से चिकित्सकों ने मोतीझरा की पृथक पहचान और वर्गीकरण किया, क्योंकि दोनों रोगों में लक्षण तथा रोगहेतु पृथक हैं।
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मोतीझरा या टाइफाइड एक खतरनाक बुखार है, इस बुखार का कारण ' साल्मोनेला टाइफी ' नामक बैक्टीरिया का संक्रमण होता है।
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2-मोतीझरा-जामुन के कोमल पत्ते, गुलदाउदी के फूल, काली मिर्च समान भाग लेकर जल के साथ पीस लें।
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मोतीझरा (Enteric fever) तीव्र ज्वर है, जो कुछ सप्ताह तक बना रहता है तथा सालमोनिला टाइफोसा (Salmonella Typhosa) नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न होता है।
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मोतीझरा (टायफाइड) में 10 तुलसी पत्र 1 माशा जावित्री के साथ पानी में पीसकर शहद के साथ दिन में चार बार देते हैं ।
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मोतीझरा यानि के टायफाइड के लिए 10-15 तुलसी के पत्ते 2-3 ग्राम जावित्री के साथ पानी में पीसकर शहद के साथ दिन में तीन चार बार सेवन करे।
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इस रोग के तथा इंफ्लुएंजा, मलेरिया, तपेदिक, मोतीझरा आदि रोगों के लक्षण आपस में मिलने के कारण विशेष समूहन परीक्षा तथा त्वचा में टीका परीक्षण से रोग निदान होता है।
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* मोतीझरा में बुखार 103 डिग्री से 106 डिग्री तक हो सकता है और यह बिना उतरे दो-तीन सप्ताह तक रहता है, इसमें तेज ठंड लगती है और मरीज काँपता रहता है।
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मोती: मोती का प्रयोग आयुर्वेदिक दृष्टि से वीर्य दोष, पिŸा विकार, ज्वर, मोतीझरा, हृदय दौर्बल्य, स्मृति क्षीणता, अनिद्रा, बेचैनी, श्रिोरोग आदि में किया जाता है।
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दफ्तर से मेडिकल लेने के लिए सरकारी डाक्टर की पर्ची जरूरी थी, सो मैंने अब सरकारी डाक्टर का रुख किया, डाक्टर ने आला लगाया, थर्मामीटर लगाया, जाँच की, कुछ टेस्ट कराए और मोतीझरा का ईलाज शुरू कर दिया।