उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले माननीय प्रधानमंत्री “ मौन ही मौन सिंह ” ने पूरे देश से चुनकर जिन “ खास ” पाँच सम्पादकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया था, उसमें एक अनमोल नगीना कुमार केतकर भी थे, ज़ाहिर है कि “ नमक का कर्ज़ ” उतारने का फ़र्ज़ तो अदा करेंगे ही …, लेकिन न्यायपालिका पर “ संघी ” होने का आरोप लगाकर उन्होंने निश्चित रूप से दिवालिएपन का सबूत दिया है।