मैं इतना रोचक शीर्षक देखकर यहाँ आया था और मन में शिकायत करने की इच्छा थी कि इतना बढ़िया शीर्षक देवनागरी के बजाय रोमन में क्यों है?
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उसके पीछे बाहर निकल आए उसके बड़े भाई राजेश को लगा कि यह बूढ़ा यही लिफ़ाफ़ा पकड़ाने यहाँ आया था और गिरना इस घटना के साथ घटी छोटी सी घटना है।
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ईसवीं पूर्व छटवीं सदी में चैबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का समवरण यहाँ आया था और अंतिम केवली भगवान श्रीधर स्वामी की निर्वांण भूमि होने से यह सिद्ध तीर्थ के रुप में मान्य है।
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ईसवीं पूर्व छटवीं सदी में चैबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का समवरण यहाँ आया था और अंतिम केवली भगवान श्रीधर स्वामी की निर्वांण भूमि होने से यह सिद्ध तीर्थ के रुप में मान्य है।
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ईसवीं पूर्व छटवीं सदी में चैबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का समवरण यहाँ आया था और अंतिम केवली भगवान श्रीधर स्वामी की निर्वांण भूमि होने से यह सिद्ध तीर्थ के रुप में मान्य है।
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सर्वप्रथम् आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में आत्मीय अभिनन्दन! मैं इतना रोचक शीर्षक देखकर यहाँ आया था और मन में शिकायत करने की इच्छा थी कि इतना बढ़िया शीर्षक देवनागरी के बजाय रोमन में क्यों है?
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मुझे याद है, आज से सात साल पहले मेरा छोटा भाई राजेश भारत सरकार के संयुक्त सचिव के तौर पर यहाँ आया था और नई सरकार के रंग-ढंग को देख कर ख़ासा प्रभावित हुआ था.
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सर्वप्रथम् आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में आत्मीय अभिनन्दन! मैं इतना रोचक शीर्षक देखकर यहाँ आया था और मन में शिकायत करने की इच्छा थी कि इतना बढ़िया शीर्षक देवनागरी के बजाय रोमन में क्यों है?
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यद्यपि मैं दिल्ली से पत्रकारिता छोड़ कर यहाँ आया था और उस समय के राष्ट्रीय समाचार पत्रों के साथ लेखन के लिये जुड़ा हुआ था किन्तु स्थानीय स्तर पर व्यावहारिक पत्रकारिता में उनका मार्गदर्शन मेरे लिये महत्वपूर्ण रहा।
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मैं अपने घर से रूठ कर यहाँ आया था और नहीं गया वापस मुझे मेरे लोग बहुत याद आते हैं मैं एक दिन अपने घर वापस चला जाऊँगा तुम भी मेरी ही तरह अपने घर से रूठ तो नहीं आए हो?